अपराधियों के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राजनीतिक दलों से कहा – टिकट देने की वजह बताएं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलाें को निर्देश दिया है कि वो अपने उम्मीदवारों का आपराधिक ब्यौरा पार्टी की वेबसाइट पर डालें। शीर्ष अदालत ने यह आदेश राजनीतिक दलों में आपराधिक लोगों को प्रत्याशी बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए दिया है। शीर्ष अदालत के इस रुख से साफ है कि आपराधिक सोच वाले लोगों की चुनाव में उम्मीदवार बनाना सही नहीं है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
बता दें कि हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में आपराधिक मामले में शामिल लोगों को सभी पार्टियों ने प्रत्याशी बनाया था। एक अनुमान के मुताबिक आप के करीब आधे विधायक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इससे पहले सितंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करे। साथ ही उसने सभी राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है।
संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया था। इस पीठ में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विधायिका को निर्देश दिया था कि वह राजनीति को आपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए कानून बनाने पर विचार करें।
न्यायालय ने कहा था कि सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से गहन प्रचार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा था कि किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आपराधीकरण चिंतित करने वाला है।
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