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केजरीवाल सरकार की बढ़ी मुश्किल, SC की ऑडिट कमेटी ने माना जरूरत से 4 गुना ज्यादा मांगी गई थी ऑक्सीजन

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली समेत देश के अन्य इलाकों में ऑक्सीजन संकट ( Oxygen Crisis ) का सामना करना पड़ा था। इस बीच दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) की ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने माना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ( Delhi Govt ) ने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की थी।

दिल्ली को उस दौरान करीब 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) सरकार ने मांग बढ़ाकर 1140 मीट्रिक टन कर दी थी। इस रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद राजनीति भी गर्मा गई है। बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर जनता को गुमराह करने और ऑक्सीजन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। एक तरफ जहां केजरीवाल सरकार पर जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की बात सामने आई है वहीं ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के चलते 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति को दिल्ली की ओर मोड़ दिया गया था।

8 मई को किया कमेटी का गठन
8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने देश में ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 12 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाया था। दिल्ली के लिए अलग से एक सब-ग्रुप बनाया गया था।

कमेटी में शामिल थे ये लोग
ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुद्धिराजा के साथ केंद्र और दिल्ली के 1-1 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शामिल हैं।

ये कहती है ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट
ऑक्सीजन ऑडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, 'भारी गड़बड़ी पकड़ी गई है। बेड कपैसिटी के आधार पर तय फॉर्म्युले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन ऑक्सिनन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना अधिक है।'

सिसोदिया ने 13 मई को कही थी ये बात
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 13 मई को कहा था कि अब दिल्ली के पास अतिरिक्त ऑक्सिजन है जिसे दूसरे राज्यों को दिया जा सकता है। उन्होंने बताया था कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि उसके पास अतिरिक्त ऑक्सिजन है और इसे दूसरे राज्यों को भी दिया जा सकता है।

ऐसे उठी ऑडिट कमेटी की मांग
दरअसल सुप्रीम दिल्ली सरकार की मांग के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन की सप्लाई की जाए।

कोर्ट में बहस के दौरान केंद्र के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा था कि दिल्ली को अधिकतम 415 मीट्रिक टन की जरूरत है। मेहता ने दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट की मांग उठाई थी।

पेट्रोलियम ऐंड ऑक्सिजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन ( PESO ) ने सुप्रीम कोर्ट की गठित टीम को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCTD) के पास जरूरत से ज्यादा ऑक्सिजन थी, जिसने दूसरे राज्यों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन (LMO) की सप्लाई प्रभावित की। पेसो ने कहा है कि अगर दिल्ली की मांग पूरी की जाती रही होती, तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्सिजन संकट पैदा हो जाता।

'आप' ने किया रिपोर्ट को किया खारिज
इस रिपोर्ट में बीजेपी के आरोपों के बीच आम आदमी पार्टी ने रिपोर्ट को लेकर कही बात को खारिज किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- दिल्ली में ऑक्सिजन ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने कोई ऐसी रिपोर्ट अभी तक approve या sign ही नहीं की जैसा बीजेपी के नेता सुबह से दावा कर रहे हैं।

पहले तो पूरे देश में ऑक्सिजन सप्लाई का बंटाधार किया, अब उन मरीजों, डाक्टर्स और hospitals को भी झूठा बता रहे हैं जो oxygen की कमी से परेशान रहे।



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