Header Ads

Mucormycosis: ब्लैक फंगस को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस, जानिए जानलेवा बीमारी से बचाव का तरीका

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण ( Coronavirus in India ) के साथ ही ब्लैक फंगस ( Black fungus ) के केस भी तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। जिसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ( Union Ministry of Health ) ने रविवार को ब्लैक फंगस सानी म्यूकोर्मिकोसिस ( Mucormycosis ) से बचाव और इलाज के लिए गाइडलाइन जारी की है। आपको बता दें कि कोरोना वायरस को हरा कर घर हॉस्पिटलों से घर लौटे मरीजों के लिए ब्लैक फंगस ने नया संकट खड़ा कर दिया है। आलम यह है कि इस जानलेवा वायरस की वजह से कोविड मरीजों को एक बार फिर हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ रहा है।

Patrika Positive News: अभिनेता बने IAS ऑफिसर ने दिखाई उम्मीद की किरण, प्लाज्मा डोनेशन के लिए लॉंन्च की वेबसाइट

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें इस बीमारी की कोरोना के उन मरीजों में ज्यादा होने की संभावना है, जो डायबिटीज से पीडि़त हैं। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान भारी मात्रा में स्टेरॉयड ले चुके मरीजों में इम्यूून सिस्टम कमजोर होने की वजह से उनको भी ब्लैक फंगस का खतरा लगातार बना हुआ है। मेडिकल डाटा पर गौर करें तो ब्लैक फंगस का डेथ रेट 50 प्रतिशत तक हो सकता है। हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि समय पर इलाज और प्रोपर देखभाल से ब्लैक फंगस के खतरे को कम किया जा सकता है।

Covaxin और Covishield से कैसे अलग है रूसी वैक्सीन Sputnik-V? ये हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर ) ने कहा है कि इसके इलाज में एंटिफंगल थेरेपी को शामिल किया गया है। इसके साथ ही ब्लैक फंगस से प्रभावित सभी मृत और संक्रमित ऊतकों को सर्जरी के द्वारा हटाना पड़ता है। जिसके चलते ककभी-कभी मरीज के ऊपरी जबड़े या आंख को भी निकाला जा सकता है।

क्या हैं लक्षण?

आंख और नाक के पास लाल चकत्ते या दर्द, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और उल्टी में खून आना। ब्लैक फंगस होने की संभावना उन मरीजों को होने में सबसे अधिक रहती हैं जो अनियंत्रित डायबिटीज से ग्रसित हों, कोविड के दौरान ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेने वाले, लंबे समय से आईसीयू में रहने वाले मरीज हों। आईसीएमआर ने ब्लैक फंगस से बचाव के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें मिट्टी के सीधे संपर्क में आने से परहेज, धूलभरी कंस्ट्रक्शन साइट्स से अलग रहना, जूते पहनकर रखना, पूरी बाजू की शर्ट पहनना, गार्डन में काम करते समय हाथ में दस्ताने पहनना आदि।

क्या करना है?

1- हाई ब्लड सुगर लेवल को नियंत्रित रखें
2- कोरोना के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल पर नजर रखें
3- ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करें
4- ऐंटिफंगल दवाएं एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करें

क्या न करें .

1. चेतावनी भरे संकेतों और लक्षणों को अनदेखा न करें
2. नाक बंद होने वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के रूप में न मानें, विशेष रूप से प्रतिरक्षा को कमजोर करने वाली दवाओं और कोरोना रोगियों के संदर्भ में
3. ब्लैक फंगस संक्रमण का पता लगाने के लिए डॉक्टरों से परामर्श करें
4. म्यूकोर्मिकोसिस का पता चलते ही इलाज में विलंब न करें



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.