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एक ऐसे राज्यसभा सांसद जो बिना सैलरी-भत्ते के कर रहे काम

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और नवनियुक्त राज्यसभा सांसद जस्टिस रंजन गोगोई एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बतौर राज्यसभा सदस्य के रूप में ना ही वेतन लेते हैं और न ही कोई भत्ता लेते हैं। इस बात की जानकारी एक आरटीआई में दी गई है। आरटीआई में बताया है कि राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद रंजन गोगोई वेतन और भत्ते का लाभ नहीं ले रहे हैं, जिसका वे राज्यसभा के सदस्य के रूप में हकदार हैं। 08 साल पहले तक उनके पास कोई कार भी नहीं थी । भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को मार्च 2020 में राज्यसभा सांसद के लिए नामित किया गया था ।

गोगोई ने राज्यसभा सचिव को लिखा पत्र -
गोगोई ने राज्यसभा के महासचिव को लिखे पत्र में उन्होंने औपचारिक रूप से उच्च सदन के वेतन और भत्तों का लाभ नहीं उठाने का कारण बताया था। रंजन गोगोई ने लिखा, 'कृपया ध्यान दें, मैं वेतन और भत्ते (यात्रा भत्ते और आवास को छोड़कर) का लाभ नहीं उठा रहा हूं, जिसका मैं राज्यसभा के सदस्य के रूप में हकदार हूं, इसके बजाए, मैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रूप में मुझे दिए जा रहे सेवानिवृत्ति की सुविधाओं का लाभ उठाने का विकल्प चुन रहा हूं । इसकी बजाए वो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर मिलने वाली पेंशन और सुविधाएं लेते हैं, उन्हें हर महीने 82,301 रुपए की पेंशन मिलती है ।

गोगोई ने की थी संपत्ती की घोषणा -
सीजेआई का पद संभालने से पहले साल 2018 में रंजन गोगोई ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी। घोषणा पत्र के मुताबिक इसमें गुवाहाटी में 65 लाख रुपये मूल्य की जमीन की बिक्री का रिकॉर्ड था। उन्होंने 1999 में गुवाहाटी के बेलटोला में 1.10 लाख रुपये में 1 कट्ठा 10 लेस्सा जमीन खरीदी । 2012 में इसकी मार्केट वैल्यू 10 लाख रुपये के आसपास थी। शेयर और म्युचुअल फंड में कोई निवेश नहीं था। उनके पास ना तो कोई मकान था और ना ही कोई लोन।



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