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Liquor Shop में नहीं लगेगी महिला और शिक्षकों की ड्यूटी, सरकार के हाथों में होगा जिम्मा


नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) में लगभग दो महीनों तक शराब (liquor shop in lockdown) की दुकानें बंद रही। लॉकडाउन में थोड़ी छूट के बाद दुकानें खुलने लगी तो इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। दुकानों पर महिला आबकारी अफसरों की ड्यूटी ने विवाद खड़ा कर दिया है। मध्य प्रदेश (MP Government) आबकारी विभाग (Excise Department) ने तय किया है कि अब शराब दुकानों में सिर्फ पुरुष कर्मचारियों से ही काम कराया जाएगा। इसके साथ ही इसमें भी पॉलिटेक्निक आदि के कर्मचारियों की सेवाएं भी नहीं ली जाएंगी।

दरअसल शराब ठेकेदारों की ओर से लाइसेंस सरेंडर कर देने के बाद 90 में से 32 शराब दुकानों का संचालन आबकारी विभाग ही कर रहा है। आबकारी विभाग ने महिला अधिकारियों की ड्यूटी शराब की दुकानों पर लगाई है। जिसे लेकर विरोध शुरू हुआ।

कांग्रेस ने किया विरोध

इसे लेकर सियासत गरमा गई। कांग्रेस ने महिला अधिकारियों-कर्मचारियों की शराब दुकानों पर तैनाती का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी। कांग्रेस ने शिवराज सरकार को शराब दुकानों में महिलाओं की ड्यूटी लगाने पर जमकर खरी-खोटी सुनाई। लोगों ने इसका जमकर विरोध प्रदर्शन किया।


पूर्व सीएम ने किया ट्वीट

इसे लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि 'शिवराज जी आप जब विपक्ष में थे तो प्रदेश में शराब को लेकर खूब विरोध करते थे, खूब भाषण देते थे, शराब को बहन-बेटियों के लिए खतरा बताते हुए उनको साथ लेकर धरने पर बैठते थे। अब तो आपने बहन-बेटियों को ही शराब की दुकानों पर बैठा दिया? इससे शर्मनाक व दोहरा चरित्र कुछ नहीं हो सकता है।'

सरकार के हाथों आई कमान

फिलहाल मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों का जिम्मा एमपी सरकार ने खुद अपने हाथों में ले रखी है। एेसा इसलिए हुआ क्योंकि ठेकेदारों की ओर से ठेके सरेंडर करने की वजह से बनी है। ठेकेदार लॉकडाउन के दौरान हुए अपने नुकसान की भरपाई चाहते थे जिसको लेकर सरकार से उनकी बात नहीं मानी बाद में ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सरेंडर कर दी और सरकार ने खुद आबकारी विभाग की ओर से दुकानों के संचालन का फैसला किया।



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