अचला सप्तमी: आरोग्य, धन-संपदा और पुत्र प्राप्ति के लिये किया जाता है ये व्रत, जानें महत्व

हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी पड़ती है। इस सप्तमी को माघी सप्तमी या रथ सप्तमी भी कहा जाता है। इस बार रथ सप्तमी 1 फरवरी, शनिवार के दिन पड़ रही है। कहा जाता है की इस दिन सूर्य उपासना की जाये तो उससे कई लाभ व्यक्ति को मिलते हैं।

 

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अचला सप्तमी का व्रत खासकर संतान प्राप्ति, आरोग्य और धन-संपदा पाने के लिये किया जाता है। सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा की जाये तो आपको वरदान प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं अचला सप्तमी शुभ मुहूर्त और महत्व...

अचला सप्तमी: आरोग्य, धन-संपदा और पुत्र प्राप्ति के लिये किया जाता है ये व्रत, जानें महत्व

अचला सप्तमी व्रत मुहूर्त

सप्तमी तिथि का प्रारंभ 31 जनवरी दिन शुक्रवार को शाम 3 बजकर 51 मिनट से 01 फरवरी दिन शनिवार को शाम 6 बजकर 10 मिनट तक।

अचला सप्तमी स्नान का मुहूर्त- 1 फरवरी सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक है।

 

अचला सप्तमी: आरोग्य, धन-संपदा और पुत्र प्राप्ति के लिये किया जाता है ये व्रत, जानें महत्व

अचला सप्तमी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव का जन्मदिन माना जाता है। ऐसे में माघी सप्तमी को सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन सूर्य की उपासना करने से लोगों को सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की कृपा से भक्तों को आरोग्य का वरदान मिलता है, साथ ही धन-धान्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

रथ सप्तमी या अचला सप्तमी के दिन सभी लोगों को स्नान करना चाहिए और सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। अचला सप्तमी के दिन चावल, तिल, दूर्वा, चंदन, फल आदि का दान करना श्रेयष्कर माना गया है। आज के दिन सूर्य देव को जल देना भी बहुत ही फलदायक माना गया है।



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