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Chaitra Navratri 2023: इस शुभ मुहूर्त में करें दुर्गा अष्टमी और कन्या पूजन, हमेशा भरी रहेगी तिजोरी

 


Chaitra Navratri 2023 Durga Ashtami par kanya pujan shubh muhurat : चैत्र नवरात्रि का आज आठवां दिन है। आठवां दिन यानी दुर्गा अष्टमी। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसी कड़ी में आज आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा किए जाने का विधान है। आज आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। महागौरी को सबसे सुंदर स्वरूप कहा गया है। माना जाता है कि देवों के देव महादेव शिव ने महागौरी को अद्वितीय सुंदर रूप दिया है। आज का दिन यानी नवरात्रि का आठवां दिन इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है कि इसी दिन मां दुर्गा असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुईं थीं। आज के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व माना जाता है। वहीं कल यानी गुरुवार 30 मार्च 2023 नवरात्रि का अंतिम दिन है। नवें दिन मां के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान माना गया है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि आज किन दुर्लभ संयोगों में दुर्गा अष्टमी मनाई जा रही है... वहीं आज कुछ विशेष मुहूर्त में ही कन्या पूजन किया जाए, तो यह कष्टहारी और शुभ फलदायक साबित हो सकता है।

यहां जानें दुर्गा अष्टमी पर शुभ संयोग
इस बार दुर्गा अष्टमी पर बेहद शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन और मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि मां दुर्गा के आशीर्वाद से ऐसा करने से जीवन के सभी दुखों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति शत्रुओं पर विजय पाता है। वहीं आज अष्टमी पर बन रहे शुभ योग में किया गया हवन, पूजन, कन्या पूजन बहुत बेहद लाभदायक साबित होगा। दरअसल इस बार अष्टमी तिथि पर 2 शुभ योग बन रहे हैं। पहला शोभन और दूसरा रवि योग। शोभन योग 28 मार्च की रात 11 बजकर 36 मिनट से शुरू हो चुका है, वहीं रवि योग समाप्त 29 मार्च की दोपहर12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आज यानी बुधवार 29 मार्च को कन्या पूजन करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक माना गया है।

आज ऐसे करें कन्या पूजन
अष्टमी के दिन 2 से 9 साल तक की कन्याओं का पूजन करने का विशेष महत्व माना गया है। कन्या पूजन कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि जैसे ही कन्याएं आपके घर में प्रवेश करें उन्हें सम्मान से बैठाएं और साफ पानी से उनके पैर धुलाएं। उन्हें तिलक करें और पूजें। उसके बाद उन्हें खीर-पूरी, काले चने का सम्मानपूर्वक भोजन कराएं। इसके बाद उन्हें अपने सामथ्र्य के अनुसार उपहार दें। फिर अंत में उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें।

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