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Death Due To Oxygen Shortage: 12 राज्यों ने माना ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई एक भी मौत

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में हजारों लोगों की जान गई और काफी तबाही मची। सबसे बड़ी बात कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की (Lack of Oxygen) किल्लत की वजह से कई मरीजों ने दम तोड़ दिया और चारों तरफ ऑक्सजीन की कमी को लेकर हाहाकार मच गया। बीते दिनों केंद्र सरकार की ओर से संसद में दिए गए एक जवाब को लेकर भी काफी हंगामा बरपा और जमकर सियासत हुई। अब एक बार फिर से इसको लेकर राजनीति होने की पूरी संभावना है।

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा आक्सीजन की कमी से हुई मौतों को लेकर मांगे गए आंकड़ों के संबंध में अब 13 राज्यों ने जवाब दिया है। सबसे हैरानी की बात ये हैं कि इन 13 राज्यों में से 12 ने ये माना है कि कोविड की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। वहीं एक राज्य ने चार संदिग्ध मौत की जानकारी दी है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए जवाब में जिन 12 राज्यों ने ये माना कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है उनमें ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, असम, लद्दाख, जम्मू एंड कश्मीर, सिक्किम, त्रिपुरा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश का नाम शामिल है। जबकि इकलौता पंजाब राज्य ने चार संदिग्ध मरीजों की जानकारी दी है। अब बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से जवाब आना बाकी है। जब सभी राज्यों की ओर से पूरी जानकारी सामने आ जाएगी तब माना जा रहा है कि केंद्र सरकार फिर से ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकडा संसद के इसी सत्र में पेश कर सकती है।

केंद्र सरकार ने राज्यों से मांगा था जवाब

आपको बता दें कि बीते जुलाई में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में सरकार से एक सवाल पूछा कि कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के दौरान कितने मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई? क्या ये सच है कि दूसरी लहर के दौरान भारी संख्या में अस्पतालों व सड़कों पर मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है? इस सवाल के जवाब में लिखित उत्तर देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से पूरे देश में एक भी मौत नहीं हुई है।

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इसपर देखते ही देखते बवाल शुरू हो गया और सरकार पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने हमला बोल दिया। इसके जवाब में सरकार ने दोहराया कि चूंकि ‘स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य सरकारें केंद्र को जो आंकड़े भेजती है उन्हीं को कंपाइल करके देश की जनता के सामने सरकार रखती है। किसी भी राज्य सरकार ने ये नहीं बताया कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी से कितने मरीजों की मौत हुई है।

हालांकि, सरकार ने ये माना था कि दूसरी लहर के दौरान पहली लहर की तुलना में ऑक्सीजन की मांग काफी अधिक बढ़ गई थी। जहां पहली लहर में 3 हजार 95 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग थी, वहीं दूसरी लहर में यह बढ़कर 9000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी। बाद में जब इसपर सियासत शुरू हो गई तब केंद्र सरकार ने तत्काल एक आदेस जारी करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आंकड़े साझा करने को कहा। इसी संदर्भ में अब 13 राज्यों ने केंद्र को ये जवाब दिया है।



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