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Patrika Explainer: पंजाब सरकार बिजली बचाने पर क्यों दे रही है जोर?

चंडीगढ़। पंजाब की कांग्रेस सरकार के अंदर मचे सियासी अंतर्कलह के बीच राज्य सरकार के लिए एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल, पंजाब में बीते कुछ समय से बिजली की भारी समस्या देखी जा रही है। इस भीषण गर्मी के बीच पंजाब बिजली की अभूतपूर्व कटौती से जूझ रहा है।

ऐसे में खुद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धु ने ही कई सवाल खड़े किए हैं, जिसको लेकर राज्य की कैप्टन अमरिंदर सरकार निशाने पर आ गई है। अमरिंदर सरकार ने राज्य के लोगों से बिजली बचाने की अपील की है। लोगों से अपील की जा रही है कि एसी-कूलर न चलाएं। लिहाजा, अब सवाल ये है कि आखिर पंजाब में बिजली की इतनी बड़ी समस्या कैसे और क्यों आ गई है और सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है।

बिजली का संकट कितना व्यापक है?

पंजाब के सबसे व्यस्त और आधुनिक शहरों में से एक मोहाली के कई इलाकों में पिछले 24 घंटों से 14 घंटे से अधिक की बिजली कटौती हुई है। पटियाला और बठिंडा में सात घंटे तक बिजली गुल रही और कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, मुक्तसर और लुधियाना के कुछ हिस्सों में छह से 12 घंटे के बीच कटौती हुई है।

मीडिया रिपॉर्ट के मुताबिक, एक सप्ताह से अधिक समय से पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति प्रतिबंधित है और धान की रोपाई के मौसम में किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस समय किसानों को धान की रोपाई के दौरान पानी की आपूर्ति हेतु पंप चलाने के लिए निर्बाध बिजली की आवश्यकता होती है।

किसानों का आरोप है कि धान की बुआई शुरू होने के बाद से 8 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की आवश्यकता के विपरीत उन्हें महज 4-5 घंटे ही आपूर्ति मिल रही है। ऐसे में पंजाब में 10-12 घंटे तक की बिजली कटौती काफी अहम हो जाती है। किसानों की जरूरत और तपती गर्मी परेशान लोगों को देखते हुए ये आसानी से समझा जा सकता है कि पंजाब में बिजली का संकट कितना व्यापक है।

बिजली कटौती के पीछे राज्य सरकार की दलील

बिजली संकट के बीच पंजाब सरकार ने उद्योग के लिए बिजली प्रतिबंधित कर दी है और सरकारी कार्यालयों में काम के घंटे को बदलकर सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर दिया है। बीते दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी सरकारी कार्यालयों से बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने कहा कि स्थिति विकट है क्योंकि पंजाब में बिजली की डिमांड 14,500 मेगावाट तक पहुंच गई है, जो कि अब तक का सर्वाधिक है। सरकार ने कहा है कि बिजली की मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं है।

बिजली संकट का मुख्य कारण क्या है ?

पंजाब में अचानक से बिजली की कमी को लेकर राज्य में घमासान मचा है। ऐसे में लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अचनाक बिजली का संकट कैसे खड़ा हो गया? पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीएलसी) के एक प्रवक्ता ने कहा कि कमी लंबे समय तक सूखे (मानसून में देरी), धान की रोपाई और बठिंडा जिले के तलवंडी साबो थर्मल पावर प्लांट की एक इकाई की विफलता के कारण बिजली संकट उत्पन्न हुआ है।

पीएसपीसीएल के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब के थर्मल प्लांटों की क्षमता 6,840 मेगावाट बिजली पैदा करने की है, लेकिन वर्तमान में वे सिर्फ 5,640 मेगावाट ही पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा, रोपड़ थर्मल प्लांट (210MW) और तलवंडी साबो थर्मल प्लांट (990 MW) में भी खराबी है।

इसके अलावा, पंजाब सरकार पहले ही बठिंडा थर्मल प्लांट को बंद कर चुकी है, इसलिए बिजली की आपूर्ति के लिए काफी हद तक निजी संयंत्रों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। तलवंडी साबो थर्मल प्लांट अपनी क्षमता का केवल 50 प्रतिशत उत्पादन करता है। दूसरी तरफ पीएसपीसीएल अब केवल बारिश पर निर्भर है क्योंकि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) भी जल विद्युत उत्पादन के लिए पानी की कमी का सामना कर रहा है।

पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि वे पीएसपीसीएल और सरकार को आने वाले संकट के बारे में सूचित कर रहे थे और बिजली प्राधिकरण द्वारा गलत निर्णय लेने से अविश्वसनीय आपूर्ति और उच्च बिजली दरों में वृद्धि होगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।



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