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Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने 'टोक्यो ओलंपिक' से लेकर 'राष्ट्रगान गायन' तक कही ये बड़ी बातें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देश के युवाओं को आगे बढ़ने के प्रेरित करने के मंत्र देते है। मन की बात के 79वें संस्‍करण के जरिए पीएम मोदी ने टोक्‍यो ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल को लेकर बात की है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स से अपनी बात की शुरू करते हुए कहा कि ओपनिंग सेरेमरी में जब भारतीय दल तिरंगा लेकर निकला तो पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।

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टोक्यों ओलंपिक में तिरंगा देख रोमांचित हो उठा देश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दो दिन पहले कुछ अद्भुत तस्‍वीरें, कुछ यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं। इसलिए इस बार मन की बात की शुरुआत उन्‍हीं पलों से करते हैं। टोक्‍यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलते देखकर मैं ही नहीं पूरा देश रोमांचित हो उठा।

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15 अगस्त पर अनोखी पहल
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि इस बार 15 अगस्त को एक आयोजन होने जा रहा है। ये आयोजन राष्ट्रगान से जुड़ा हुआ है। सांस्कृतिक मंत्रालय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा से ज्याजा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएं, इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है। इस वेबसाइट का नाम rashtragaan.in है। इसकी मदद से आप राष्ट्रगान गाकर, उसे रिकॉर्ड कर पाएंगे और इस अभियान से जुड़ पाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस अनोखी पहल से आज जरूर जुडेंगे।

 

आजादी के 75 साल होने पर गर्व
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि जो देश के लिए तिरंगा उठाता है, उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक ही है। इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह हमारा बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 साल होने के हम साक्षी बन रहे हैं। 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है।

स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्कारों, बुनकरों को सपोर्ट
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि रोज के काम काज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते है, जैसे- वोकल फॉर लोकल। हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्कारों, बुनकरों को सपोर्ट करना। हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए। 7 अगस्त को आने वाला है नेशनल हैंडलूम दिवस, एक ऐसा अवसर है जो हम प्रयास पूर्वक भी ये काम कर सकते है। नेशनल हैंडलूम दिवस के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्टभूमि जुड़़ी हुई है। इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी।

 

'अमृत महोत्सव' सरकार या राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं
'अमृत महोत्सव' किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि—कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। हर स्वतंत्र और कृतज्ञ भारतीय का अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन है। इस महोत्व की मूल भावना का विस्तार तो बहुत विशाल है। ये भावना है, अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना, उनके सपनों को देश बनाना। जैसेख् देश की आजादी के मतवाले, स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो गए थे, वैसे ही हमें देश के विकास के लिए एकजुट होना है। हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए काम करना है और इसमें छोटे—छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते है।



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