हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला तिहाड़ जेल से रिहा, जेबीटी भर्ती घोटाले में हुई थी 10 साल की सजा
नई दिल्ली। हरियाणा ( Haryana ) के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल ( INLD ) के अध्यक्ष ओपी चौटाला ( OP Choutala ) तिहाड़ जेल ( Tihar Jail ) से रिहा हो गए। चौटाला की जेबीटी भर्ती घोटाले मामले में 10 वर्ष की सजा पूरी होने के बाद तिहाड़ जेल से रिहाई हुई।
जेल से रिहाई के बाद दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया है। अब चौटाला गुरुग्राम स्थिति अपने घर पहुंच गए हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला शुक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे अपनी रिहाई के लिए तिहाड़ जेल पहुंचे। दरअसल वे पैरोल पर बाहर थे, लेकिन औपचारिकता पूरी करने के लिए वे तिहाड़ जेल पहुंचे।
यहां कागजी कार्रवाई पूरी कर रिहाई के फार्म पर हस्ताक्षर किए। ओपी चौटाला की रिहाई के वक्त उनके पोते कर्ण चौटाला उनके साथ रहे।
तिहाड़ जेल से रिहा होते ही इनेलो चीफ गुरुग्राम स्थित अपने आवास के लिए रवाना हुए। इस दौरान दिल्ली-गुरुग्राम बार्डर पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने सुप्रीमो का स्वागत किया।
दिल्ली सरकार का फैसले से जल्दी हुई रिहाई
दरअसल दिल्ली सरकार ने पिछले महीने एक आदेश पारित किया। इसके ततह कोविड-19 महामारी के चलते जेलों में भीड़ कम करने के इरादे से ऐसे कैदियों की छह महीने की सजा माफ कर दी थी, जिन्होंने 10 साल की कैद में से साढे़ नौ साल की सजा काट ली है। ओपी चौटाला को भी इसी पारित आदेश के चलते थोड़ा जल्दी रिहाई मिल गई।
वर्ष 2013 से कैद की सजा काट रहे 86 वर्षीय चौटाला ने 26 मार्च 2020 से ही कोविड-19 आपात पैरोल पर जेल से बाहर हैं। उन्हें 21 फरवरी 2021 को सरेंडर करना था, लेकिन हाईकोर्ट ने पैरोल की अवधि बढ़ा दी थी।
जेल में पास की 12वीं की परीक्षा
सजा के दौरान ओम प्रकाश चौटाला ने 12वीं क्लास की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर डाली। वह तिहाड़ जेल में कैदियों के लिए बनाए गए सेंटर पर नेशनल ओपन स्कूल द्वारा कराई गई 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए थे।
अंतिम परीक्षा 23 अप्रैल को हुई थी। वह इस दौरान पैरोल पर रिहा थे लेकिन चूंकि परीक्षा केन्द्र जेल परिसर के अंदर थी, वह वापस जेल आए और परीक्षा में शामिल हुए।
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ये है जेबीटी मामला
22 जनवरी 2013 को CBI की स्पेशल कोर्ट ने चौटाला समेत कुल 55 आरोपियों को इस मामले में सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। CBI का आरोप है कि आरोपियों ने अवैध तरीके से 3206 जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती की थी।
यह भर्ती 2000 में की गई थी और उस समय ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। मामले की सुनवाई के दौरान ओपी चौटाला को मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत दी गई थी। बाद में हाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2014 में उन्हें सरेंडर करने का आदेश दिया था।
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