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भारत के IT नियम को UN एक्सपर्ट ने बताया वैश्विक मानवाधिकार मानदंडों के खिलाफ, सरकार ने दिया करारा जवाब

नई दिल्ली। भारत में लागू किए गए नए सूचना एवं प्रौद्योगिकी (IT) नियमों को लेकर सरकार और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच विवाद बढ़ गया है। अब यह मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुंच गया है।

संयुक्त राष्ट्र के कुछ एक्सपर्ट्स ने भारत में लागू नए आईटी नियमों को लेकर सवाल खड़े किए हैं और आरोप लगाते हुए कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंड के खिलाफ है। यूएन एक्सपर्ट्स के इस आरोप पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

भारत ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के हो रहे गलत इस्तेमाल के चलते नए नियम को लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिखे जवाब में कहा है कि नए मीडिया प्लेटफॉर्म (सोशल मीडिया) की मदद से आतंकियों की भर्ती, अश्लील सामग्री का बढ़ना, वित्तीय फ्रॉड, हिंसा को बढ़ावा मिलना जैसे मामले सामने आए थे। ऐसे में सरकार आईटी नियमों में बदलाव के लिए मजबूर हुई।

UN एक्सपर्ट्स ने लगाए ये आरोप

मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र के कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में लागू नए आईटी नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मानदंडों के हिसाब से नहीं है। यूएन ने इस नए नियम को लेकर चिंता जताई। इस संबंध में यून के जानकारों ने भारत सरकार को एक पत्र भी लिखा।

यूएन ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बहुदलीय लोकतंत्र, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में नए आईटी नियमों को लेकर भारत को फिर से विचार करना चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के खिलाफ न हो।

यूएन ने आगे यह भी कहा है कि भारत लगातार तकनीकी क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। भारत इस क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर की भूमिका निभा रहा है। भारत को आईटी और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का भी अधिकार है, लेकिन अधिक जटिल और लंबा-चौड़ा कानून अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के खिलाफ होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत के नए आईटी कानून इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) का उल्लंघन कर रहे हैं, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि का आधार है।

भारत ने दिया ये जवाब

यूएन के आरोपों पर भारत ने करारा और सधा हुआ जवाब दिया है। केंद्रीय कानून और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जवाब देते हुए कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों के लिए केंद्र के दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर बनाए गए थे।

भारत ने कहा कि मुनाफाखोर अमरीकी कंपनियों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्याख्यान की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई कंपनी भारत में संचालित होती है तो उसे भारतीय कानून मानना पडेगा।

क्या है ICCPR?

बता दें कि इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) एक बहुपक्षीय संधि है जो नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए कई तरह की सुरक्षा प्रदान करती है। इस संधि को 16 दिसंबर 1966 को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली रेजॉलूशन में अपनाई गई थी। कॉवनेंट की आर्टिकल 49 के मुताबिक, ICCPR 23 मार्च 1976 को प्रभाव में आया। ब्रिटेन भी 1976 में ICCPR को फॉलो करने के लिए राजी हुआ। दिसंबर 2018 तक, 172 देशों ने कॉवनेंट को अपनाया है।



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