Header Ads

महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका, OBC आरक्षण पर SC ने ठुकराई पुनर्विचार याचिका

नई दिल्ली। आरक्षण के मुद्दे पर देश में वर्षों से राजनीति होती रही है, लेकिन अदलातों में सियासी दल टिक नहीं पाए हैं। ऐसा ही नजारा एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला है। OBC आरक्षण के मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत में महाराष्ट्र की सरकार को बड़ा झटका लगा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय संस्थाओं में महाराष्ट्र सरकार के अतिरिक्त OBC आरक्षण देने के फैसले को रद्द करने के निर्णय को बरकरा रखा है। सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा इस फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसे सुुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया और स्पष्ट कर दिया कि स्थानीय संस्थाओं में OBC आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :- कोर्ट ने 27 फीसदी OBC आरक्षण में लगाई रोक, कहा- 14 फीसदी से ज्यादा नहीं मिलेगा रिजर्वेशन

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से ग्रामपंचायत, जिलापरिषद और स्थानीय संस्थाओं में ओबीसी को मिलने वाला अतिरिक्त आरक्षण अब नहीं दिया जा सकेगा।

50 पीसदी से अधिक नहीं दिया सकता आरक्षण

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले महाराष्ट्र सरकार के जिला परिषद कानून का आर्टिकल 12 को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण तय कि गए हों, लेकिन फिर भी आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया था कि ओबीसी को 27 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। लिहाजा, इस संवैधानिक सीमा का पालन करते हुए जिला परिषद में चुनाव करवाए जाएं।

यह भी पढ़ें :- केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला, जम्मू कश्मीर में SC, ST और OBC आरक्षण लागू

कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार को डर था कि ओबीसी वर्ग नाराज हो सकता है, लिहाजा कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। हालांकि, अब एक बार फिर से कोर्ट ने अपने पिछले फैसले को बरकरार रखते हुए ठाकरे सरकार की याचिका को ठुकरा दिया है।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि कानून में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। यानी कि किसी भी परिस्थिति में OBC आरक्षण को 27 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता है। महाराष्ट्र में यदि एसटी यानी अनुसूचित जनजाति की बात करें तो कुछ जिलों में आबादी के हिसाब से उन्हें 20 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है, जबकि एससी यानी अनुसूचित जाति की बात करें तो 13 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।

यह भी पढ़ें :- मोदी सरकार ने आख़िरकार प्राइवेट सेक्टर में SC-ST-OBC आरक्षण पर रुख किया साफ़, जानें क्या है प्लानिंग

ऐसे में यदि सभी को जोड़ा जाए तो किल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत हो जाती है। लेकिन अब सरकार OBC में अतिरिक्त आरक्षण दे रही है, जिससे कानून में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन हो रहा है। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त आपत्ति जताते हुए आरक्षण को पचास प्रतिशत की सीमा में रखने के आदेश दिए हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.