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नई उम्मीद : बच्चों को लगेगी मॉडर्ना की 'कोरोना वैक्सीन', जल्द ही आएगा सस्ता देसी टीका

वॉशिंगटन। देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है और उससे मुकाबले की तैयारियों पर चर्चा शुरू हो गई है। बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने की आशंकाओं के बीच वैक्सीन निर्माताओं ने बच्चों के टीकाकरण की दिशा में काम तेज कर दिया है। अमरीकी कंपनी मॉडर्ना ने 12 से 17 साल के बच्चों पर वैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण किया। रिपोर्ट में वैक्सीन को 96 फीसदी तक प्रभावी पाया है। दो दिन पहले ही कनाडा ने फाइजर वैक्सीन को बच्चों के प्रयोग के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही देश के भीतर भी टीके का संकट खत्म होने की उम्मीद जगी है। बायोलॉजिकल ई कंपनी अगस्त तक सबसे सस्ती वैक्सीन बड़े उत्पादन के साथ लेकर आ रही है।

भारत में बच्चों के लिए कौन-सी वैक्सीन-
आइसीएमआर व भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का बच्चों पर परीक्षण होना है, अभी तक क्लीनिकल परीक्षण शुरू नहीं हुआ है। फाइजर ने हाल ही वैक्सीन के बिना परीक्षण मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से पहल की थी। मंजूरी मिलने पर बच्चों को प्रयोग की अनुमति मिल सकती है। इसके अलावा मॉडर्ना समेत अन्य वैक्सीन को भी मंजूरी मिल सकती है।

एक कदम आगे की तैयारी में सीरम-
मार्डना और फाइजर के अलावा जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का 12 से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल शुरू हो गया है। इजरायल में 12 से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल के अच्छे परिणाम आए हैं। अब 5 से 11 साल के बच्चों पर ट्रायल की तैयारी है। इधर ब्रिटेन में एस्ट्रेजेनेका ने भी वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया है। देश में सीरम इंस्टीट्यूट भी अक्टूबर तक बच्चों की वैक्सीन लाने की तैयारी में है। 5 से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल की तैयारी है। वहीं एक टीका ऐसा भी विकसित करने की तैयारी है जिसे बच्चों के पैदा होने के महीने भर के भीतर ही देकर उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जाए।

तीसरी आरएनए वैक्सीन क्योरवैक भी तैयारी में -
जर्मनी की एक कंपनी ने तीसरी आरएनए वैक्सीन क्योरवैक तैयार की है। इसके अंतिम चरण के परीक्षण के नतीजे अगले हफ्ते जारी होने की उम्मीद है। इस वैक्सीन को सामान्य फ्रिज में भी रखा जा सकेगा। कई देशों में फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की आरएनए आधारित वैक्सीन की पहुंच बहुत कम है। इसका प्रमुख कारण इन दोनों वैक्सीन का रख-रखाव है। इन्हें रखने के लिए करीब -80 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। क्योरवैक का रख-रखाव अपेक्षाकृत आसान है। विशेषज्ञ इसके नतीजे को लेकर उत्साहित हैं। यह दुनियाभर के देशों में आसानी से पहुंच सकेगी।

6 माह से 11 साल के बच्चों के लिए परीक्षण शुरू-
मॉडर्ना ने दो माह पहले मार्च में 6 माह से 11 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन का परीक्षण शुरू कर दिया है। फाइजर व बायोएनटेक अमरीका में सितंबर माह में इस श्रेणी के बच्चों को वैक्सीन के आपात प्रयोग की अनुमाति मांगेंगे।

सबसे सस्ती- 110 रुपए में वैक्सीन...
कब मिलेगी -
03 माह बाद अगस्त से संभावना, तीसरे परीक्षण की रिपोर्ट का इंतजार।

विकसित -
टेक्सास स्थित बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन व बायोलॉजिकल ई के सहयोग से।

उत्पादन -
7.5 से 8 करोड़ खुराक प्रतिमाह उत्पादन कंपनी की क्षमता।

तकनीक-
वैक्सीन विकसित करने में हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की तकनीक का प्रयोग।

उत्पादन क्षमता सीरम इंस्टीट्यूट जैसी-
हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर महिमा दातला हैं। कंपनी 1962 से वैक्सीन बना रही है। देश में कोरोना वैक्सीन विकसित करने वाली जो आठ बड़ी कंपनियां हैं उनमें से बायोलॉजिकल ई एक है। सीरम इंस्टीट्यूट के जैसी इस कंपनी की उत्पादन क्षमता है।

इतनी सस्ती जिसे हर कोई खरीद सके-
हम वैक्सीन अपनी कमाई बढाने के लिए नहीं बना रहे हैं। इसके जरिए जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं। मैं आश्वस्त कर सकती हूं कि यह कोरोना की सबसे सस्ती वैक्सीन में से एक है। इसे हर आम आदमी खरीद सकता है।
- महिमा डाटला, मैनेजिंग डायरेक्टर बायोलॉजिकल ई



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