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न्यूजीलैंड में महामारी के दौरान एशियाई लोगों के प्रति बढ़ा नस्लवाद और भेदभाव

नई दिल्ली। पूरी दुनिया इस समय महामारी कोरोना वायरस से जूझ रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। कोरोना के कारण पिछले कुछ दिनों से जीवन थम सा गया है। कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के बाद लोगों में बेरोजगारी और भुखमरी जैसी समस्याएं पैदा हो रही है। इसी बीच न्यूजीलैंड से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। इस मुश्किल घड़ी में जहां लोग एक-दूसरे की मदद की अपील कर रहे हैं और एक-दूसरे का सहारा बन रहे हैं। वहीं न्यूजीलैंड में इस दौरान नक्सलवादी की घटनाओं में इजाफा हुआ है। न्यूजीलैंड में एशियाई लोगों के प्रति घृणा की भावना बढ़ी है। एक राष्ट्रीय सर्वे के दौरान खुलासा हुआ है कि न्यूजीलैंड में हर पांच में से दो निवासियों ने कहा है कि इस दौरान नक्सलवाद की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।

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सर्वे में 1,083 लोगों ने लिया भाग
एक रिपोर्ट के अनुसार, माओरी, पैसिफिक और एशियाई मूल के लोगों को नस्लवाद का अनुभव ज्यादा हुआ है। इनमें से आधे लोगों का कहना है कि एक तिहाई यूरोपीय न्यूजीलैंड वासियों के मुकाबले उनके साथ नस्लवाद अधिक है। एक सर्वे में 1,083 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें से आधे से अधिक (52 प्रतिशत) ने स्वीकार किया है कि नस्लवाद पहले के जैसा ही है। वहीं सात प्रतिशत लोगों ने माना कि यह कम हुआ है।

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माओरी और पैसिफिक लोगों की 2 गुना अधिक मौतें
कोविड-19 से एशियाई लोगों के प्रति घृणा की भावना बढ़ी है। साथ ही जातीय अल्पसंख्यकों पर इस बीमारी का काफी असर पड़ा है और कई लोगों की मौत हुई है। अल्पसंख्यक जातीय समूहों में मृत्यु दर ब्रिटेन में श्वेत आबादी के मुकाबले दो या उससे अधिक गुना ज्यादा है। न्यूजीलैंड में माओरी और पैसिफिक लोगों की कोविड-19 के कारण करीब दो गुना अधिक मौतें हुई हैं।

नौकरी, कार्य स्थल, रेस्तरां में ज्यादा भेदभाव
हर पांच में करीब दो लोगों ने कहा कि उन्होंने देखा है कि लोग दूसरे लोगों को वे कैसे दिखते या कैसी अंग्रेजी बोलते हैं, इसके कारण भेदभाव करते हैं। महामारी के दौरान अल्पसंख्यक जातीय समूहों में मृत्यु दर ब्रिटेन में श्वेत आबादी के मुकाबले दो या उससे अधिक गुना ज्यादा है। एशियाई मूल के लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन देते वक्त, कार्य स्थल पर और खरीददारी के लिए जाते या रेस्तरां जाते वक्त अधिक भेदभाव का सामना किया।



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