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6 महीने बाद खुले केदारनाथ धाम के कपाट, तीर्थयात्रियों और स्थानीय भक्तों के मंदिर में जाने पर रोक

नई दिल्ली। विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान और पूजा अर्चना के बाद सोमवार सुबह 5 बजे खोल दिए गए। छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद आज कपाट खोल गए। इस मौके पर पिछले साल की तरह इस बार भी महामारी कोरोना वायरस के कारण श्रद्धालु उपस्थित नहीं रहे। हालांकि उद्घाटन के स्थानीय लोगों की कमी साफ नजर आई। वहीं चमोली में स्थित भगवान बदरीनाथ के कपाट 18 मई को सुबह सवा चार बजे ब्रहममुहूर्त में खुल जाएंगे। वहां भी कोविड के कारण श्रद्धालुओं को आने की इजाजत नहीं दी गई है।

 

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11 कुंतल फूलों से सजाया
केदारनाथ धाम में कपाट खुलने से पहले पूरे मंदिर को 11 कुंतल फूलों से सजाया गया है। भगवान भोलेनाथ की मंत्रमुग्ध करने वाली धुनों से केदारपुरी का वातावरण भक्तिमय बन गया। मंदिर के कपाट खोलने से पहले वो सभी तैयारियां की गई हो हर वर्ष की जाती है। सोमवार को केदारनाथ रावल भीमाशंकर और मंदिर के मुख्य पुजारी बागेश एवं प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर के कपाट खोलेंगे। कोविड के कारण मुख्य द्वार खुलने के बाद भक्तों का मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगाई गई है। कोरोना संकट में केदारनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद रहेगा। किसी भी तरह के तीर्थयात्रियों और स्थानीय भक्तों को मंदिर में दर्शन करने की अनुमति नहीं है।

 

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चारधाम यात्रा पर कोरोना का साया
आपको बता दें कि गढ़वाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा पर भी कोविड का साया पड़ा है। उत्तराखंड में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर बहुत अधिक है। शहरी और ग्रामीण इलाकों में संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए चारधाम यात्रा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 29 अप्रैल को कहा था कि महामारी की वर्तमान स्थिति के बीच यात्रा का संचालन संभव नहीं है। उन्होंने कहा था कि धामों के कपाट अपने नियत समय पर ही खुलेंगे, लेकिन वहां केवल तीर्थ पुरोहित ही नियमित पूजा करेंगे। चिंता वाली बात ये है कि राज्य के अंदर संक्रमित मरीजों के मरने की संख्या बहुत अधिक है।



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