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​विश्व एड्स टीकाकरण 2021 : अब तक क्यों नहीं बन पाई एचआईवी की वैक्सीन, वैज्ञानिकों के सामने है ये चुनौतियां

नई दिल्ली। अत्यधिक प्रभावी विश्वव्यापी टीकाकरण अभियान के बाद पृथ्वी के चेहरे से चेचक का उन्मूलन कर दिया गया है। पोलियो वायरस के खिलाफ प्रभावी टीकों के विकास और उपयोग के कारण अमेरिका में पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस अब कोई समस्या नहीं है। वर्तमान समय में COVID-19 के खिलाफ प्रभावी टीकों की तेजी से लाखों लोगों की जान बचाई गई है। फिर भी एचआईवी को एड्स के रूप में खोजे गए 37 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई टीका नहीं मिला है। हर साल 18 मई को विश्व एड्स टीकाकरण (World AIDS Vaccination 2021) के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर आज आपको AIDS के बारे में बताने जा रहे है।

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एड्स को खत्म करने वाली दवा नहीं बनी
एचआईवी वायरस के बारे में पता चले हुए करीब 40 साल होने वाले है। एड्स उन खतरनाक बीमारियों में से एक हैं, जिसकी आज तक वैक्सीन नहीं बन पाई है। वैज्ञानिकों को साल 1980 में पहली बार बीमारी के बारे में पता लगा था। एक्सपर्ट कहते हैं कि एंटी रेट्रोवायरल थेरपी और दवाओं के जरिए एड्स के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसकी संक्रमण की चपेट में आने के बाद इसे जड़ से समाप्त करने वाली दवा (HIV Vaccine) किसी के पास नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एड्स की वजह से अब तक दुनिया भर में 3.2 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है।

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दो साल में वैक्सीन बनाने का किया था वादा
एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1984 में अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस विभाग ने कहा था कि वे दो साल में एड्स की वैक्सीन (AIDS Vaccine) तैयार कर लेंगे। सभी कोशिशों के बाद भी असफलता ही हाथ लगी। हालांकि वैज्ञानिक पहले ही बता चुके हैं कि किसी भी महामारी के लिए वैक्सीन तैयार करना आसान काम नहीं होता है। इसमें सालों लग सकते हैं और कई बार तो वैक्सीन बनने की संभावना नहीं होती है। वैक्सीन नहीं होने के बावजूद इसकी रोकथाम से एड्स को काफी हद तक कंट्रोल किया जा चुका है।


क्यों तैयार नहीं हुई एचआईवी की वैक्सीन
— वैज्ञानिकों का कहना है कि एचआईवी वायरस बड़ी तेजी से अपना रूप को बदल देता है। जबकि वैक्सीन वायरस के एक विशेष रूप को ही टारगेट बना सकती है। वायरस के रूप बदलते ही उस पर वैक्सीन का असर काम करना बंद कर देता है। ये सभी वजह हैं जिनके कारण आज तक एचआईवी की वैक्सीन तैयार नहीं की जा सकी है।
— वैक्सीन बनाने वाले मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम एचआईवी वायरस से नहीं लड़ पाता है। एंटीबॉडी सिर्फ बीमारी की गति को धीमा करती है, उसे रोक नहीं पाती।
— शरीर में एचआईवी संक्रमण लंबे समय तक फैलता है। इस दौरान वायरस इंसान के डीएनए में छिपा रहता है। शरीर के लिए डीएनए में छिपे वायरस को ढूंढ़कर उसे नष्ट करना मुश्किल काम है।
— एचआईवी एक ऐसा संक्रमण है जिसके संपर्क में आने के बाद एक व्यक्ति की रिकवरी लगभग असंभव हो जाती है।



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