हाईकोर्ट के फैसले पर सिद्धू का ट्वीट, जजमेंट का मतलब ये न समझें कि बादलों के खिलाफ सबूत नहीं

चंडीगढ़। अपने शब्दों के जाल से प्रतिद्वंदी को भी दीवाना बना लेने वाले कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर से बादल परिवार पर हमला बोला है। पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि अदालती फैसले का अर्थ नहीं है कि बादलों के खिलाफ सबूत नहीं है। इसका सीधा से मतलब सिर्फ इतना हुआ कि कोर्ट में सबूत पेश नहीं किए गए, क्यों?
सिद्धू ने कहा कि बेअबदी और कोटकपूरा गोलीकांड के लिए बनी SIT को लेकर माननीय पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले से बादल इस खुशफहमी में न रहें कि उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं। नवजोत सिद्धू ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया कि बादल परिवार को बेअबदी मामले में बचाने के लिए फ्रैंडली मैच खेला जा रहा है।
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ट्वीट करते हुए नवजोत सिद्धू ने लिखा 'जजमेंट का मतलब यह नहीं है कि बादल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, इसका मतलब यह है कि जांच ने कोई प्रावधान नहीं किया है, क्यों?... उन्होनें कहा कि बादल तब तक ही बचे हैं जब तक कोई निष्पक्ष जांच इनकों जेल तक नहीं पहुंचाती। अभी कुछ खत्म नहीं हुआ है, बस थोडा समय और मिला है। चलिए न्याय के लिए लड़ते हैं'।
कांग्रेस पर सिद्धू ने लगाए आरोप
कांग्रेस नेता व अमृतसर से विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी ही पार्टी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने शुक्रवार को आरोप लगाया कि वे गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान से जुड़े मामलों की जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि यह मामले अमरिंदर सिंह के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है।
बता दें कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 2015 में फरीदकोट के कोटकपुरा में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा गोलियां चलाए जाने के मामले में जांच रिपोर्ट खारिज किए जाने के बाद सिद्धू ने ये टिप्पणी की।
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कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह मामले की जांच के लिए नए सिरे से SIT (विशेष जांच दल) का गठन करे और उसमें आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को शामिल न करे। मालूम हो कि अदालत द्वारा जांच रिपोर्ट फिर से खारिज किए जाने के बाद प्रताप सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
सिद्धू ने कहा था कि ‘क्या गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान का मामला गृह मंत्रालय के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला नहीं है।?' उन्होंने ट्वीट किया, ‘जवाबदेही से बचना और महाधिवक्ता को बलि का बकरा बनाना, इससे दिखता है कि कार्यकारी प्रशासन के पास कोई नियंत्रण नहीं है। महाधिवक्ता पर किसका आदेश चलता है? जवाबदेही से बचने के इस खेल में कानूनी दल सिर्फ एक मोहरा है।'
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