Header Ads

रेमेडेसिविर नहीं रामबाण, 85% से ज्यादा कोरोना मरीज बिना किसी खास इलाज के हो रहे ठीकः डॉ. गुलेरिया और डॉ. त्रेहन

नई दिल्ली। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर से चिंताएं बढ़ा दी है। इस बीच कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के संबंध में दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीाप गुलेरिया समेत देश के कई बड़े अस्पतालों के दिग्गज डॉक्टरों ने चर्चा की।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना संक्रमति 85% से अधिक लोग किसी भी विशिष्ट उपचार के बिना ही ठीक हो रहे हैं। रेमेडिसिविर आदि रामबाण इला नहीं है। अधिकांश लोगों में सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। 5-7 दिनों में वे रोगसूचक उपचार के साथ ठीक हो जाते हैं। केवल 15% लोगों में बीमारी का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है।

यह भी पढ़ें :- 87 फीसदी हेल्थ वर्कर्स लगा चुके हैं कोरोना वैक्सीन, देशभर में अब तक 13 करोड़ लोगों को लगाया गया टीका

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एक देश के रूप में, यदि हम एक साथ काम करते हैं और ऑक्सीजन और रेमेडिसिविर का विवेकपूर्ण उपयोग करें, तो कहीं भी कोई कमी नहीं होगी। उन लोगों की संख्या के संदर्भ में जिन्हें ऑक्सीजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता है, हम अच्छी तरह से संतुलित हैं।

टीका लगाने के बाद भी मास्क पहनना जरूरी

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन आपको गंभीर रूप से बीमार होने से बचाता है। यह आपको संक्रमण होने से नहीं रोक सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि टीका के बाद भी हमारे पास एक सकारात्मक रिपोर्ट हो सकती है, इसलिए टीका के बाद भी मास्क पहनना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन एक इलाज है, जो कि एक दवा की तरह है। ऑक्सीजन को रूक रूक कर लेना पूर्ण रूप से ऑक्सीजन की बर्बादी है। ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, जो यह दर्शाता है कि यह आपकी किसी भी तरह से मदद करता है और इसलिए आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।

रेमडेसिविर कोई रामबाण इलाज नहीं: गुलेरिया

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हम में से अधिकांश जो घर में आइसोलोट हैं या अस्पताल में हैं, उन्हें किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं है। केवल कुछ लोगों को ही रेमेडिसिविर की आवश्यकता होती है। इसे आप रामबाण इलाज न समझें।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.