Header Ads

जिस परियोजना को लेकर नितिन गडकरी पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप, जानिए उसके बारे में सब कुछ

नई दिल्ली।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर आरोप है कि स्वीडन की बस निर्माता कंपनी ने करीब साढ़े चार साल पहले एक कंपनी को लक्जरी बस दी थी। दावा किया जा रहा है कि जिस कंपनी को यह बस दी गई थी, उसका केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बेटों से करीबी संबंध था। हालांकि, नितिन गडकरी ने इन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है।

'यह सिर्फ कल्पना और कुछ नहीं'
केंद्रीय मंत्री गडकरी के ऑफिस की ओर से मीडिया रिपोर्ट में लगाए गए इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण, निराधार और मनगढ़ंत बताया है। गडकरी के ऑफिस की ओर से इस संबंध में विस्तृत बयान भी जारी किया गया है। इसके मुताबिक, मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए ऐसे दावे कि स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कैनिया ने नवंबर 2016 में जिस कंपनी को लग्जरी बस दी थी, उसका उनके बेटों से करीबी संबंध था। साथ ही, बस के लिए भुगतान नहीं किया गया और उसे नितिन गडकरी की बेटी की शादी में इस्तेमाल किया गया। यह सिर्फ एक कल्पना है। बयान में यह भी कहा गया है कि स्कैनिया बस का मामला स्वीडन की इस कंपनी का अंदरूनी मामला है, ऐसे में मीडिया को स्कैनिया के भारत में स्थित ऑफिस से आधिकारिक बयान का इंतजार कर लेना चाहिए।

यह भी पढ़े:- अगर मुसीबत में हैं, मगर मदद के लिए बोल नहीं सकते, तो यह इशारा आएगा आपके काम

स्कैनिया बस की खरीद-बिक्री से कोई संबंध नहीं

बयान में पूरे मामले को लेकर कहा गया है कि नितिन गडकरी और उनके परिवार के सदस्यों का स्कैनिया बस की खरीद-बिक्री से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है। साथ ही, बयान में यह भी जोड़ा गया है कि नितिन गडकरी देश में हरित सार्वजनिक परिवहन लाने की अपनी योजना के तहत नागपुर में स्कैनिया की इथेनॉल से चलने वाली बस को शुरू करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने नागपुर नगर निगम को एक पायलट को प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। यहीं नहीं, नागपुर नागरिक निकाय ने स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कैनिया के साथ एक वाणिज्यिक समझौता भी किया। इस समझौते से नागपुर में इथेनॉल चालित बसें चलने लगीं, मगर यह समझौता पूरी तरह नागपुर नागरिक निकाय और स्कैनिया के बीच ही था।

ट्रक और बस बनाती है स्कैनिया
स्वीडन की कंपनी स्कैनिया बस और ट्रक बनाती है। कंपनी की ओर से भी इस संबंध में बयान जारी किया गया है। इसके मुताबिक, कंपनी के भारतीय परिचालन के विषय में की गई एक आंतरिक जांच में वरिष्ठ प्रबंधन सहित कर्मचारियों के दुराचार के साक्ष्य मिले हैं। इस मामले में शामिल सभी सदस्य कंपनी छोडक़र जा चुके हैं। स्वीडन के मीडिया चैनल एसवीटी समेत तीन मीडिया संस्थानों ने यह खबर दी है। इसके मुताबिक, स्कैनिया ने वर्ष 2013 से वर्ष 2016 के बीच भारत के सात राज्यों में बस अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी। एसवीटी की खबर के अनुसार, स्कैनिया ने एक खास लग्जरी बस एक कंपनी को दी थी। इसका संबंध भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से था।

यह भी पढ़े:-महाराष्ट्र में कोरोना के बीच यह परीक्षा फिर टली तो बढ़ा बवाल, जानिए उद्धव ने क्या दिया जवाब

केंद्रीय मंत्री की बेटी की शादी के लिए दी गई थी बस

खबर में दावा किया गया है कि यह बस केंद्रीय मंत्री गडकरी की बेटी की शादी के लिए दी गई थी। इसका पूरा भुगतान भी नहीं किया गया था। इस बस को स्कैनिया के डीलरों के माध्यम से बेचा गया था। उन्होंने किसी ऐसी कंपनी को बस दी, जिसका संबंध नितिन गडकरी के बेटों से था। यह खबर और दावा स्वीडन के न्यूज चैनल एसवीटी, जर्मन ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ और भारत के कंफ्लुएंस मीडिया की ओर से की गई रिसर्च में सामने आया है। एसवीटी ने तो यहां तक दावा किया कि कंपनी ने ट्रकों पर चेसिस नंबर और लाइसेंस प्लेट बदल दिए थे।

नागपुर में इथेनॉल चालित बस चलाना चाहते थे गडकरी
दरअसल, नागपुर ग्रीन बस परियोजना के तहत नगर पालिका क्षेत्रों में इथेनॉल चालित बसों को चलाने की योजना थी। यह योजना सभी सिटी बसों को जैव ईंधन पर चलाने की थी। वर्ष 2016 में परियोजना शुरू करते समय केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा था कि यह योजना केवल गुड़ से ही नहीं बल्कि, चावल, गेहूं के भूंसे और बांस से इथेनॉल बनाने की भी है। स्कैनिया को परियोजना के तहत 55 इथेनॉल से चलने वाली बसों को चलाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, यह परियोजना वर्ष 2018 में तब खटाई में पड़ गई थी, जब स्कैनिया ने खुद परियोजना को रोक दिया था। साथ ही, अपनी 25 ग्रीन बसों को नागपुर नगर निगम से बकाया भुगतान नहीं करने समेत कुछ और समस्याओं के कारण बंद कर दिया था।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.