सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभिभावकों को झटका, निजी स्कूल कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान की फीस भी वसूल सकते हैं

नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने निजी स्कूलों को कोरोनाकाल के दौरान अभिभावकों से 60 से 70 प्रतिशत तक ही बच्चों की फीस लेने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत सोमवार को हुई एक सुनवाई में राजस्थान के गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रबंधन को यह अनुमति दे दी है कि वह वर्ष 2019-20 के लॉकडाउन के दौरान की पूरी फीस (100 प्रतिशत) वसूल सकते हैं। हालांकि, यह फीस 5 मार्च 2021 से 6 मासिक किस्तों में वसूली जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राजस्थान सरकार को भी गैर सहायता प्राप्त सभी निजी स्कूलों को एक महीने के भीतर सभी तरह के बकाए का भुगतान करने के निर्देश भी दिए हैं।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अगर अभिभावक बच्चे की फीस का भुगतान नहीं कर पाता, तो स्कूल प्रबंधन इस आधार पर छात्र को न तो निष्कासित कर सकता है और न ही उसका रिजल्ट रोक सकता है। यह महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस एएम खनविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने दिया।

क्या था राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला
भारतीय विद्या भवन, एसएमएस और कुछ अन्य स्कूल प्रबंधकों की अपील पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें प्रबंधन को अभिभावकों से केवल 60 से 70 प्रतिशत फीस लेने की ही इजाजत दी गई थी। गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे सुनवाई कर कोई फैसला नहीं सुनाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किस्त व्यवस्था वर्ष 2021-22 के शैक्षणिक सत्र के लिए छात्रों की ओर से दी जाने वाली फीस से अलग होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले के साथ ही राजस्थान सरकार को भी आदेश जारी किया है। इसके तहत, राज्य सरकार एक महीने के भीतर गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को सभी तरह की बकाया राशि का भुगतान करे। इसमें निजी स्कूलों की ओर से 25 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस छात्रों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के अनुसार पढ़ाई के लिए वहन की जाती है, भी शामिल है।



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