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तमिल में बीटेक कर कैसे विदेश में पढ़ाई व नौकरी का सपना होगा पूरा?

नई दिल्ली। नए सत्र में शैक्षिक संस्थानों को मातृ भाषा व कई स्थानीय भाषाओं के जानकार शिक्षकों की जरूरत होगी। ज्यादातर शिक्षक अंग्रेजी, हिंदी बोलते हैं। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत अब स्कूलों व कॉलेजों को या तो मौजूदा शिक्षकों को विभिन्न भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना होगा या फिर अतिरिक्त निुयक्ति करनी होगी। यही नहीं तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई भी स्थानीय भाषा में होगी। इससे सवाल यह उठ रहा है कि तमिल जैसी स्थानीय भाषा में बीटेक कर विदेशों में पढ़ाई व नौकरी का सपना कैसे पूरा होगा।

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गौरतलब है कि सरकार ने कुछ समय पहले ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी है। इसमें मातृभाषा सीखने के साथ स्थानीय भाषा के सीखने पर सबसे ज्यादा जोर है। इसके तहत एक छात्र हिंदी, अंग्रेजी, एक क्षेत्रीय व मातृ भाषा में पढ़ाई कर सकता है। पांचवीं कक्षा तक शिक्षा के माध्यम को बदलने का प्रावधान है।

बीटेक भी मातृभाषा में पढ़ सकेंगे, तैयारी

यह नहीं मंत्रालय मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन कर रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में बी. टेक जैसे तकनीकी शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम शामिल होंगे। जिससे छात्र मातृ व स्थानीय भाषा मे पढ़ाई के लिए स्वतंत्र होगा। हालांकि इसके लिए कॉलेजों, संस्थानों को अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। इससे संस्थानोंं पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।

नई शिक्षा नीति में बहुत बल है: राज्यपाल

सबसे बड़ा सवाल

कोलकाता स्थित एआइएम हाई स्कूल के प्रिंसिपल आरके गुप्ता का कहना है कि यदि 35 छात्रों की कक्षा में सिर्फ एक छात्र अपनी मातृभाषा में अध्ययन करने के लिए प्रवेश लेता है तो उसकी चयनित भाषा के लिए नए शिक्षक की नियुक्ति संभव नहीं होगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ....

इंजीनियरिंग संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मंत्रालय को पहले शिक्षकों की उपलब्धता व उस भाषा के विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए उपयुक्त शिक्षक मिलना कितना संभव होगा।

सबसे बड़ी चुनौती

1. एक इंजीनियरिंग छात्र को तकनीकी अवधारणाओं को समझाने के लिए तमिल या बांग्ला शिक्षक का मिलना मुश्किल होगा।

2. शुद्ध मैकेनिकल या कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग शब्दों का स्थानीय भाषा में अनुवाद कैसे होगा। यदि विशेषज्ञ शिक्षकों को प्रशिक्षित करते हैं तो भी यह इतना आसान नहीं होगा।

3. यदि छात्र के माता-पिता का अंतरराज्यीय स्थानांतरण होता है तो उसकी नए राज्य में स्थानीय भाषा में पढ़ाई कैसे संभव होगी।

4. स्थानीय व मातृ भाषा में पढ़ाई के बाद विदेशों में पढ़ाई व नौकरी के मौके कैसे मिलेंगे। वहां अंग्रेजी भाषा को ही वरीयता दी जाती है।

भाषा नीति : दो चरणों में लागू होगा

सूत्रों के अनुसार सरकार भाषा नीति के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रही है। 2023 तक इसे लागू किया जाएगा। पहले चरण में पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा व स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू होगी। केंद्रीय स्कूलों में लागू किया जाएगा। दूसरे चरण में इंजीनियरिंग व तकनीकी शिक्षा संस्थानों को शामिल किया जाएगा।



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