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चीन का इंस्टेंट लोन 'वायरस': हमारी बैंकिंग-साइबर सुरक्षा में सेंध

नई दिल्ली. कोरोना काल का एक और साइड इफैक्ट। भारतीय बैंकिंग और साइबर सुरक्षा को धता बताकर चीन के सैकड़ों इंस्टेंट लोन ऐप ने भारतीय बाजार पर अपनी पकड़ बना ली है। बिना किसी खास दस्तावेज के फटाफट लोन के फेर में लोगों को 200 फीसदी ब्याज तक चुकाना पड़ रहा है। कर्ज नहीं चुका पाने पर कुछ लोग खुदकुशी भी कर चुके हैं।
भारत की बैंकिंग प्रणाली और साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने में चीन की इन ऐप बेस्ड कंपनियों ने सेंध लगाई। अपना कारोबार फैलाने के लिए इन चीनी कंपनियों ने मार्च, 2020 के बाद का समय चुना क्योंकि उस समय से बड़ी संख्या में लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। गूगल पर ऐसे ऐप्स की भरमार है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से पिछले छह माह से भी ज्यादा समय से एडवाइजरी जारी करने के बाद गूगल ने तो ऐसे कुछ ऐप्स को हटाया लेकिन सरकारी स्तर पर अब भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। दिलचस्प तथ्य है कि चीन इन कंपनियों पर 2016 में बैन लगा चुका है।

ये है ड्रैगन कंपनियों का तौर-तरीका
चीन की ऐप कंपनियां कर्ज लेने वाले की साख की परवाह किए बिना लोन दे देती है।
अधिक ब्याज दर के कारण कोई डिफॉल्टर भी हो जाए तो ज्यादा नुकसान नहीं होता।
ये सभी को कर्ज देती है, बिना किसी खास दस्तावेज या केवाइसी या कर्ज समझौते के।
95 फीसदी ऐसे लोग जो दूसरी जगहों से लोन नहीं ले पाते, वे इन ऐप का आसान शिकार बनते हैं।
ये ऐसे लोग होते हैं जिनके पास कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं होता फिर भी ये कर्ज लेना चाहते हैं।
सभी ऐप ने यूजर्स के डेटा और निजी सूचना स्टोर करने के लिए चीनी सर्वर का इस्तेमाल किया।

85 फीसदी, एक ही वाइटलेबल ऐप
एक्सपट्र्स बताते हैं कि इनमें 85 फीसदी ऐप एक जैसे सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। ये एक वाइटलेबल ऐप बनाती हैं। फिर कंपनी उस पर अपना ब्रांड नाम लगाती है।

मालिक चीनी, छद्म पते
चीन में इन ऐप पर बैन के बाद वहां से कारोबारियों ने भारत का रुख किया। चीनी मालिकों ने यहां भारतीयों दलालों और छद्म पतों से धंधा श्ुरू किया। कॉलसेंटर भी बनाए। ब्रिटेन, अफ्रीकी देश, इंडोनेशिया इन ऐप्स पर रोक लगा चुके हैं।

कैशलेस की स्टडी...
अनियमितताएं-
1050 इंस्टेंट लोन ऐप में

गूगल प्ले स्टर पर-
750 ऐप

खुद की वेबसाइट हैं-
300 के पास

कंपनी का निश्चित पता-
90 के पास
(कैशलेस डिजिटल लेनेदेन पर जागरूक करने वाली संस्था है)

रिकवरी में अश्लील फोटो से देते हैं धमकी
टेलीकॉलिंग तक तो ठीक उसके बाद चेतावनी, धमकी आम हो गई है। कुछ केस में ऐप डाउनलोड करते समय अलाउ किए गए फोन एक्सेस के जरिए मोबाइल से फोटोज लेकर उनसे छेड़छाड़ कर अश्लील सामग्री तैयार की जाती है और फिर उसके जरिए ब्लैकमेल तक किया जाता है। ब्याज भी दो सौ फीसदी तक ले लिया जाता है।

केस 1
जबरन डाले पैसे, अब वसूली
हैदराबाद. भुमना प्रसाद ने 3500 रुपए का इंस्टेंट कर्ज लिया और चुका दिया। कुछ दिन बाद उसके खाते में 14 ऐप से 26 हजार जमा हो गए। ये ऐप उसने इंस्टॉल नहीं किए थे। अब कर्ज चुकाने के लिए धमकियां मिल रही। मूलधन 44 हजार रुपए हो गया।

केस 2
90 हजार लिए, 8 लाख साफ
चेन्नई. छात्र बालाजी विजयराघवन ने अक्टूबर 2020 में स्नेपिट ऐप इंस्टाल किया। जरूरत पडऩे पर 90 हजार रुपए लिए लेकिन लेकिन 8 लाख का लेनदेन लोन ऐप उनकी इजाजत के बिना कर रकम साफ कर दी। अब वो पुलिस थानों के चक्कर काट रहा है।

केस 3
चीनी महिलाओं का हनी ट्रैप
आंध्र प्रदेश. शिक्षक सेल्वाराज को ऑनलाइन लोन ऐप कंपनी का निदेशक बना दिया गया। सेल्वराज के बेटे मधु ने पिता के दस्तावेज का दुरुपयोग किया। मधु को चीनी महिलाओं यूई और जेनिफर के जरिए हनी ट्रैप से फंसाया गया।



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