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किसान नेता बोले- प्रस्ताव में वही पुरानी बातें, जिन पर पहले चर्चा हो चुकी है

नई दिल्ली.
किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव से किसान संघ सहमत नहीं हैं। हम तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं और अब आंदोलन और ज्यादा तेज होगा। हम 12 दिसंबर तक जयपुर-दिल्ली हाइवे भी जाम कर देंगे। इसके साथ ही किसान नेताओं ने अंबानी-अडानी के उत्पादों का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है।

नेताओं ने कहा कि पूरे देश में भाजपा के नेताओं का घेराव होगा। इससे पूर्व, केंद्र सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजा। जिसमें किसानों की मांग के आधार पर सरकार ने समाधान का प्रस्ताव दिया गया। हालांकि किसानों का कहना है कि ये सभी प्रस्ताव वही हैं जो पांचवें दौर की बैठक में सरकार की ओर से रखे गए थे।

सरकार बोली- कार्य प्रगति पर
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें किसानों को भेजे गए प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब एक अंतिम दौर की बातचीत हो रही हो, तो यह वर्क-इन-प्रोग्रेस माना जाता है। इसकी रनिंग कमेंट्री नहीं हो सकती। किसानों के मुद्दों पर सरकार संवेदनशील है। सरकार ने किसानों से 6 बार चर्चा की है। उम्मीद है अब आखिरी दौर होगा।

नीति आयोग अध्यक्ष का विवादित बयान
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भारत में लोकतंत्र को लेकर विवादित बयान दिया है। कांत ने कहा कि भारत में लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है। उन्होंने कहा कि भारत में कड़े सुधार को लागू करना बहुत मुश्किल है।

  • आसान नहीं किसान होना, प्रत्येक पर औसत 1 लाख का कर्ज
  • - 16 अगस्त 2019 को नाबार्ड ने अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेश सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की थी, जिसके मुताबिक, देश में 52.5 फीसदी किसान परिवार कर्ज के दायरे में हैं और प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन एक लाख रुपए से अधिक का कर्ज है।
  • - एनसीआरबी की 2019 की सुसाइड के नाम से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में खेती पर निर्भर 10,281 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। यानी 28 लोगों ने हर दिन आत्महत्या की। 2019 में महाराष्ट्र में 3927 खेती से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की। कर्नाटक में यह आंकड़ा 1992 है, आंध्र प्रदेश में 1024, मध्यप्रदेश में 541, छत्तीसगढ़ में 499 और तेलंगाना में भी 499 लोगों ने आत्महत्या की।
  • - 2020 में खेती से 41.49 फीसदी, इंडस्ट्री से 26.18 फीसदी और सर्विक सेक्टर से 32.33 फीसदी लोग जुड़े हैं।
  • - सेंटर फॉर डब्ल्यूटीओ स्टडीज की साल 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति किसान को करीब 20,000 रुपए की सब्सिडी (सभी स्रोतों से मिलाकर) मिलती है। वहीं, 2016 की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में यह आंकड़ा 45.22 लाख है।
  • - केंद्र सरकार ने पीएम किसान निधि के लिए 14.5 करोड़ किसान परिवारों की संख्या मानी है। 2018 में जारी की गई कृषि जनगणना 2015-16 के मुताबिक 68 फीसदी किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम जमीन है। देश में 86 फीसदी कृषि भूमि सीमांत और छोटे किसानों के पास है।
  • - 2019 में जारी इंडियन स्टैटिकल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकारें कुल 3,36,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी किसानों को देती हैं। इसमें केंद्र का हिस्सा 1,20,500 करोड़ रुपए है। वहीं राज्यों द्वारा किसानों को 1,15,500 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में मिलते हैं।


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