Header Ads

डॉक्टरों ने नहीं बताया गर्भ में बच्चा है विकलांग, चार पर मुकदमा दर्ज

नई दिल्ली/गोरखपुर.

लापरवाही पूर्वक अल्ट्रासाउंड जांच करने और गर्भस्थ शिशु के बारे में गलत जानकारी देने पर गोरखपुर में एक मां ने चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ धोखाधड़ी और चिकित्सकीय लापरवाही का मुकदमा दर्ज करवाया है। मां ने सवाल उठाया कि प्रसव के दौरान चार-चार महिला डॉक्टरों की जांच और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट सही आने के बाद भी बच्चा आखिर विकलांग कैसे पैदा हुआ।

पीडि़त की शिकायत पर कोर्ट के आदेश से कैंट थाने में 4 डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। पैथोलॉजी सेंटर सील कर दिया गया है। पंजीकरण भी निरस्त कर दिया है। आइएमए का कहना है, मामला गंभीर है।
गोरखपुर की रहने वाली अनुराधा पांडेय ने गर्भावस्था में चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार समय-समय पर अल्ट्रासाउंड और अन्य मेडिकल जांच कराई। कलर डॉप्लर (लेवल टू, अल्ट्रासोनोग्राफी) जैसी जांचें भी होती रहीं। सभी जांचों में गर्भस्थ शिशु को पूरी तरह से स्वस्थ बताया जाता रहा, लेकिन जन्म के समय वह शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग पैदा हुआ।

शिकायत पर मेडिकल बोर्ड बना

अनुराधा ने जिला चिकित्सा अधिकारी से शिकायत की। जिलाधिकारी ने सीएमओ को जांच के निर्देश दिए। 4 सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने 15 दिसंबर को सीएमओ को रिपोर्ट सौंपी। दो डॉक्टरों की स्पष्ट लापरवाही मिली। डॉ. अरुणा छापडिय़ा को लीन चिट मिली। डॉ. नेहाल पर सवाल उठे।

बोर्ड की जांच में ये सामने आया

जांच में पता चला कि डॉ. अरुणा छापडिय़ा ने गर्भावस्था के 8वें सप्ताह में अनुराधा की जांच की। गर्भस्थ शिशु के अंग विकसित न होने से उसकी शारीरिक संरचना के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई। ऐसे में उनकी लापरवाही सिद्ध नहीं होती। जबकि, डॉ. अंजू मिश्रा की ओर से 30 मार्च को गर्भावस्था के 19वें सप्ताह में जांच की गई। जांच में चारों लिंब दिख रहे हैं, एएफएल सामान्य है। अंजू ने शिशु के ललाट पर एक ग्रोथ बताया। उन्होंने बोर्ड के सदस्यों को बताया कि कंप्यूराइज्ड होने से फोर लिंब आर सीन प्रिंट हो गया। बोर्ड के सदस्यों ने उनकी लापरवाही की बात सीएमओ को बताई। डॉ. नेहाल छापडिय़ा ने नौ मई को गर्भस्थ शिशु की विजिबिलिटी की जांच की। उन्होंने शारीरिक विकृति वाले पक्ष को नहीं देखा। बोर्ड के सदस्यों का मानना है कि यह एक बड़ी विकृति थी, जिसे देखा जाना चाहिए था। डॉ. काजल वर्मा ने 34वें सप्ताह में गर्भस्थ शिशु की जांच की। उनकी रिपोर्ट में किसी प्रकार की विकृति नहीं थी, जो प्रसव के बाद गलत साबित हुई। ऐसे में उनकी लापरवाही साफ दर्शाती है

पूरी जानकारी के बाद लेंगे निर्णय

अल्ट्रासाउंड जांच में बहुत सी बीमारियां पकड़ में नहीं आती। मेडिकल बोर्ड के फैसले की पूरी जानकारी के बाद आगे का निर्णय लेंगे।
-डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, आइएमए



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.