किसके सिर बंगाल का ताज: भाजपा राष्ट्रवाद और तृणमूल क्षेत्रीयता के सहारे हासिल करना चाहती है कुर्सी
नई दिल्ली/कोलकाता.
पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष अप्रेल-मई में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा ने अभी से चुनावी बिगुल फूंक दिया है। हालांकि, माकपा नीत वाम मोर्चा और कांग्रेस अभी रणक्षेत्र में उतरने की तैयारी में जुटी हैं।
तीसरी शक्ति बनकर उभरने का दावा करने वाली कांग्रेस और वाम मोर्चा साझा चुनावी रणनीति, साझे मुद्दे तय करने में व्यस्त हैं। दोनों दल धर्मनिरपेक्षता, उग्र राष्ट्रवाद, केंद्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनमत तैयार करने में लगे हैं।
केंद्र और राज्य में टकराव जारी
बंगाल मिशन के तहत भाजपा ने 200 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है तो टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी विजय रथ जारी रखने तथा भाजपा को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। भाजपा ने राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय राजनीति के सहारे पिछले 45 साल से केंद्र और राज्य में जारी टकराव की राजनीति को खत्म कर सरकार बनाने की कोशिश शुरू कर दी। महापुरुषों के बहाने राज्य के लोगों में राष्ट्रवाद और आत्मस मान की भावना जगा रही है। पार्टी भ्रष्टाचार मिटाने और खोए हुए पुराने गौरव को लौटाकर फिर से सोनार बांग्ला बनाने के मुद्दे उठा रही है। अभियान को सफल बनाने को भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बार-बार बंगाल का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के चुनाव विशेषज्ञ, केंद्रीय नेता व मंत्री राज्य में छावनी डालने लगे हैं।
भाजपा धोखेबाज पार्टी
सीएम ममता ने भाजपा को धोखेबाज पार्टी करार देते हुए कहा, राजनीति के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। शाह की रैली के जवाब में ममता भी रैली करने जा रही हैं। उन्होंने कहा, मैं 28 दिसंबर को प्रशासनिक बैठक के लिए बीरभूम जा रही हूं। मैं 29 दिसंबर को रैली भी करूंगी।
बंगाली उप-राष्ट्रवाद के मुद्दे उठा रही तृणमूल
टीएमसी उप-राष्ट्रवाद और बंगाली भावनाओं को जगाने के लिए बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा उछाल कर तीसरी बार सत्ता में लौटने का प्रयास कर रही है। ममता सहित पार्टी नेता गांवों में क्षेत्रीयता को हवा दे रहे हैं। लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा बाहरी नेताओं की पार्टी है।
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