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अमानवीय अपराध: देश भर में हर साल 250 युवतियां हो रही एसिड अटैक का शिकार

नई दिल्ली।

देश में एसिड अटैक की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस तरह की अमानवीयता के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर साल देश में एसिड अटैक के लगभग 250 मामले सामने आ रहे हैं।

एसिड की बिक्री के कड़े नियम हैं लेकिन सख्ती से पालन न होने पर लुके छिपे बिक्री हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैटरी या अन्य दुकानों पर आसानी से एसिड मिल जाता है जो कहीं न कहीं युवतियों के चेहरे झुलसाने का कारण बन रहा है। देश में वर्ष 2014-2018 के बीच एसिड अटैक के 1,483 शिकार हुए हैं। इनमें से ज्यादतर महिलाएं हैं।

एसिड अटैक के मामले में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। एनसीआरबी के 2019 के डेटा के अनुसार वर्ष 2019 में एसिड अटैक के 248 मामलों में से सबसे ज्यादा 50 मामले प. बंगाल में दर्ज हुए, जहां 53 लोग इसके शिकार हुए। 45 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा, यहां 47 लोग इसके शिकार हुए। ओडिशा में एसिड हमले के 13, बिहार और पंजाब में 12-12 और दिल्ली में एसिड हमलों के 11 मामले दर्ज किए गए।

शरीर झुलसता है और जेहन भी

प्रेम प्रस्ताव नहीं मानने पर कभी किसी पर एसिड फेंक दिया जाता है, तो कभी पुरानी रंजिश के चलते किसी को शिकार बनाया जाता है। इस हमले के शिकार की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है। न सिर्फ शरीर बल्कि जेहन भी झुलस जाता है। साथ ही मानसिक आघात भी पहुंचता है।

ये हैं सजा के कानूनी प्रावधान

भा रतीय दंड संहिता(आइपीसी) की धारा 326ए के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे को नुकसान पहुंचाने के इरादे से एसिड फेंकता है और पीडि़त पूर्ण या आंशिक रूप से जख्मी होता है, तो ये गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके तहत एसिड अटैक मामले में दोषी को कम से कम 10 साल की सजा या उम्रकैद भी हो सकती है। आइपीसी की धारा 326बी भी दोषी को कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान करती है।



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