Header Ads

100 साल पहले तक अमरीका में अश्वेतों को गोरों के साथ बस में बैठने की अनुमति नहीं थी- पूर्णिमा वोरिया

नई दिल्ली.

अमरीका की उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित कमला हैरिस के शद मेरे कानों में गूंज रहे हैं- ‘लोकतंत्र एक राज्य या अवस्था नहीं है, यह एक काम है और हर पीढ़ी को इसका हिस्सा होना चाहिए।’ कमला के उपराष्ट्रपति बनने के कारण यह चुनाव इस कथन का प्रतिबिंब बन गया है। तकरीबन 100 साल पहले यहां अश्वेतों को गोरों के साथ बस में बैठने की अनुमति नहीं थी और महिलाएं मतदान नहीं कर सकती थीं।

कमला से डेनवर में तब मिली थी, जब वह प्रेसिडेंसी के समर्थन के लिए आई थीं। उनका भाषण सुना तो सुरुचिपूर्ण उपस्थिति व सारगर्भित विचारों से अभिभूत हुई थी। उनका पहला एजेंडा, अनेकता में एकता और अमरीका को कोरोना से छुटकारा दिलवाना होगा। मुख्यधारा के अमरीका, अल्पसंख्यक समुदाय और व्यवसायों के बीच बहुत असमानता है। पूंजी और नेटवर्किंग तक पहुंच 78 लाख अल्पसंख्यक व्यवसायों के लिए एक चुनौती है, जो अमरीका में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है।

आशा है कि कमला इस अंतर को पाटेगी। कमला के निमित्त भारत और अमरीका के रिश्ते की डोर मजबूत होने का रास्ता खुला है, भारतवंशियों में उ्मीद जागी है। इंडो-अमरीकन क्युनिटी की उ्मीदों को पंख लगे हैं।

कर्नाटक के डॉ.विवेक मूर्ति को मिल सकता है ओहदा

अगले साल जनवरी में अमरीका में सāाा परिवर्तन के बाद बाइडन प्रशासन में कर्नाटक मूल के चिकित्सक डॉ. विवेक एच मूर्ति (43) को बड़ा ओहदा मिल सकता है। पैतृक गांव हल्लगेरे में खुशी का माहौल है। ब्रिटेन में जन्मे व अमरीका में पले-बढ़े मूर्ति, ओबामा के समय में 37 साल की उम्र में सर्जन जनरल बन चुके हैं। मूर्ति ने पदभार की शपथ गीता के नाम पर ली थी। मई में बाइडन अभियान ने मूर्ति को हेल्थकेयर टास्क फोर्स में सह-अध्यक्ष के तौर पर शामिल किया था। संभावना है कि जब बाइडन सोमवार को कोविड-19 टास्क फोर्स के गठन की घोषणा करेंगे तो उसमें मूर्ति सह अध्यक्ष होंगे।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.