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Corona में स्कूल-कॉलेज बंद होने से छात्राओं को नहीं मिल रहे फ्री सैनिटरी पैड्स, कई राज्यों ने रोका फंड

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) संकट के चलते देशभर में कई स्कूल-कॉलेज बंद हैं। इसकी वजह से लाखों छात्राओं को सैनिटरी पैड्स की दिक्कतें हुईं। देश के ज्यादातर राज्यों के स्कूल-कॉलेजों में किशोरियों की यह जरूरत पूरी करने के इंतजाम हैं। कई राज्यों के स्कूल-कॉलेजों में सैनिटरी पैड्स मुफ्त दिए जाते हैं। कुछ राज्यों मामूली कीमत पर भी उपलब्ध कराते हैं।

शहरी क्षेत्रों की छात्राएं मेडिकल स्टोर या किराना की दुकानों से खरीद रही हैं। लेकिन, ग्रामीण गरीब छात्राएं मजबूर हैं। अफसोस यह कि इस जरूरत के बारे में अधिकांश लड़कियां मां के सिवाय किसी और से कुछ कहती नहीं हैं।

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स्कूल-कॉलेज बंद होने का हवाला देते हुए राजस्थान की लड़कियों ने अप्रेल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सैनिटरी पैड के लिए चि_ी लिखी थी। स्वयं सेवी संस्थाओं की सहायता से राजस्थान सरकार बेटियों की जरूरत पूरी करने की कोशिश कर रही है। झारखंड की लड़कियां भी स्वयं सेवी संस्थाओं को फोन कर मदद मांग रही हैं।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में हालात ऐसे ही हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने बेटियों की जरूरत पूरी करने के लिए कोई बजट नहीं तय किया है। महाराष्ट्र में अस्मिता योजना तो गुजरात में तरुणी स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए किशोरियों की जरूरत पूरी की जा रही है। छात्राओं को सैनिटरी पैड मुहैया कराने के लिए तमिलनाडु में 60 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है।

फ्री पैड देने की तैयारी
राजस्थान सरकार सरकारी स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों को फ्री सैनेटरी नैपकिन देने की तैयारी में है। इसके लिए छात्र-छात्राओं से एकत्र की गई छात्र निधि का इस्तेमाल होगा। राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी कॉलेजों को सैनेटरी नैपकिन मुफ्त देने का आदेश दिया है। बीते सात महीने से नैपकिन नहीं मिलने से ग्रामीण छात्राएं फिर से पुराने व असुरक्षित तरीके के लिए मजबूर हैं।

प. बंगाल में बजट नहीं
पश्चिम बंगाल सरकार ने छात्राओं को सैनिटरी पैड मुहैया कराने के लिए कोई बजट निर्धारित नहीं किया है। कुछ कॉलेजों व स्कूलों में निजी संस्थाओं द्वारा नैपकिन वेंङ्क्षडग मशीन लगाई गई है। स्कूल-कॉलेज बंद हैं तो छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। कर्नाटक में इस साल इस योजना के लिए कोई बजट नहीं मिला है। पिछले साल इसके लिए 49 करोड़ रुपए आवंटित थे। योजना का लाभ 17 लाख छात्राओं को मिलता था।

घोषणा पर अमल नहीं
गुजरात में तरुणी स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना पूरी तरह से अमल में नहीं है। योजना से छात्राओं को छह पैड छह रुपए में उपलब्ध कराए जाते हैं। वडोदरा, खेड़ा, भरूच और आणंद में छात्राओं यह सुविधा देने की योजना है। राजकोट और वडोदरा मनपा के स्कूलों में मशीनें लगाई गई हैं। इस सुविधा का लाभ 300 से ज्यादा छात्राएं उठाती हैं।

ज्यादातर वेंडिंग मशीने खराब
छत्तीसगढ़ में शुचिता योजना के तहत सरकारी स्कूल- कालेजोंं की 10 लाख छात्राओं को सेनिटरी नैपकिन दिए जाने की योजना थी। शुरुआती दो वर्षों में 2200 स्कूलों में वेंडिंग और डिस्पोजल मशीने लगाई गईं। अधिकतर स्कूलों में वेंडिंग मशीने खराब पड़ी हैं। सरकार अब महिला स्व-सहायता समूहों से सेनिटरी नैपकिन बनवाकर आंगनबाड़ी के जरिए वितरित कराने की कोशिश में है।

हाईकोर्ट ने ने जगाया
तमिलनाडु में फ्री सैनिटरी पैड योजना 2011 से चल रही है। इस पर सालाना 60 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। कोरोना का हवाला देते हुए सरकार ने इस साल कहा कि नैपकिन का वितरण संभव नहीं है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार को जगाया। इसके बाद अपेल-जुलाई के बीच 23.86 लाख छात्राओं को 71 लाख 59 हजार सैनिटरी पैड वितरित किए गए।

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संस्थाओं का सहारा
मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग यह जिम्मा संभाल रहा है। प्रदेश में नि:शुल्क और सशुल्क नैपकिन मुहैया कराई जा रही है। हालांकि सरकार ने कोई बजट तय नहीं किया है। समाजसेवी संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं यह काम कर रही हैं। गरीब वर्ग की छात्राओं को मुफ्त पैड मुहैया कराए जाते हैं। स्कूलों में नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई गईं है।



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