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कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश, Harsh Vardhan Lodha को कंपनी MP Birla group के सभी पदों से हटाया जाए

नई दिल्ली। एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों से हटाने का आदेश देकर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने हर्षवर्धन लोढ़ा (Harsh Vardhan Lodha) को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हर्षवर्धन लोढ़ा को बिड़ला कॉर्पोरेशन (Birla Corp) और एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों (MP Birla group of companies) में सभी पदों से हटाया जा रहा है। अदालत के अनुसार कंपनी के मालिकाना हक वाली प्रियंवदा बिड़ला एस्टेट (Priyamvada Birla estate) के खिलाफ Birla Corp के चेयरमैन लगातार काम कर रहे थे।

ऐसे में उन्हें तत्काल कंपनी में अपने सभी पद छोड़ने होंगे। गौरतलब है कि हर्षवर्धन लोढ़ा करीब एक दशक से ज्यादा समय से इन दोनों कंपनियों का नियंत्रण अपने पास रखने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।

दोनों पक्ष बीते 18 वर्षों से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। कोर्ट का यह आदेश बिड़ला परिवार के लिए बड़ी राहत है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे लंबे समय से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत की कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे गलत करार करने की कोशिश कर रहे थे। प्रियंवदा बिड़ला ने अपनी वसीयत में 25 हजार करोड़ रुपये की मालिकाना हक वाली एमपी बिरला एंपायर (MP Birla empire) को पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट आरएस लोढ़ा (R.S. Lodha) और उनके दूसरे बेटे हर्षवर्धन लोढ़ा को सौंपा था।

ये पद छोड़ने होंगे

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर अब हर्षवर्धन लोढ़ा को Birla Corp के चेयरमैन का पद छोड़ना ही होगा। इसके साथ उन्हें MP Birla Group की दूसरी कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में निदेशक के पद को छोड़ना होगा। इनमें विंध्य टेलीलिंक लिमिटेड (Vindhya Telelinks Ltd), बिड़ला केबल्स (Birla Cables Ltd) और यूनिवर्सल केबल्स लिमिटेड (Universal Cables Ltd) शामिल है।

इससे पहले मई में हाईकोर्ट ने MP Birla Group की कंपनियों विंध्य टेलीलिंक और बिड़ला केबल्स में निदेशक के रूप में लोढ़ा की दोबारा नियुक्त की अनुमति दे दी थी। लोढ़ा इन पदों से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद बिड़ला परिवार सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामला खारिज करते हुए कहा कि इसकी सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट कर रही है।



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