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UAE का पहला मंगल मिशन जापान के​ लिए रवाना, फरवरी 2021 में पहुंचने की उम्मीद

तोक्यो। सऊदी अरब अमीरात का मंगल के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन सोमवार को जापान से लॉन्च हुआ। यह मिशन मंगल ग्रह के लिए रवाना हुआ है। हालांकि मौसम के कारण इस मिशन में कुछ देरी हुई है। इसकी वजह से इसका लॉन्च कुछ दिनों के लिए टालना पड़ा था। इस प्रोजेक्ट को होप नाम दिया गया।

इस यान में कोई इंसान नहीं गया है। इसकी लाइव फीड भी दिखाई गई। इस यान पर अरबी में 'अल-अमल' लिखा हुआ था। यान ने दक्षिण जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर (Tanegashima Space Centre) से उड़ान भरी है।

लॉन्च के फौरन बाद रॉकेट निर्माता मित्सुबुशी हैवी इंडस्ट्री का कहना है कि उन्होंने H-IIA लॉन्च वीइकल नंबर 42( H-IIA F42) को लॉन्च किया है। भारतीय समयानुसार यह मिशन सुबह 3:28 पर लॉन्च हुआ।

लॉन्च के पांच मिनट बाद, इस सैटेलाइट को लेकर जा रहा यान अपने रास्ते पर था। इसने अपनी यात्रा का पहला सेपरेशन भी कर लिया था। अमीरात का यह प्रोजेक्ट मंगल पर जाने वाले तीन प्रोजेक्ट में से एक है। इस मामले में चीन के ताइनवेन-1 और अमरीका के मार्स 2020 भी शामिल हैं। ये उस मौके का फायदा उठा रहे हैं, जब धरती और मंगल के बीच की दूरी सबसे कम होती है।

नासा के अनुसार अक्टूबर में मंगल की धरती से दूरी अपेक्षाकृत 38.6 मिलियन मील (62.07 मिलियन किलोमीटर) कम हो जाती है। 'HOPE' के मंगल की कक्षा में फरवरी 2021 में पहुंचने की उम्मीद है। यह सात अमीरातों के मिलकर यूएई बनने की 50वीं सालगिरह भी होगी। इसके बाद यह एक मंगल वर्ष यानी 687 दिनों तक उसकी कक्षा में चक्कर लगाएगा।

इस मार्स मिशन का मकसद मंगल के पर्यावरण और मौसम के बारे में जानकारी एकत्र करनी है। इसके पीछे एक बड़ा लक्ष्य भी माना जा रहा है- और वह है अगले 100 साल में मंगल पर इनसानी बस्ती बनाने का। यूएई इस प्रोजेक्ट को एक अरब के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में भी पेश करना चाहता है। 1960 के दशक से मंगल पर कई मिशन भेजे गए हैं। इनमें से ज्यादातर अमरीकी थे। कई वहां तक पहुंच नहीं सके या लैंड नहीं हो पाए।

क्या है ये होप मिशन?

होप मिशन के जरिए मंगल ग्रह के वातावरण को लेकर अध्ययन किया जाना है। यह मिशन वास्तव में पहली बार एक मौसम उपग्रह के तौर पर मंगल पर भेजा गया है। मंगल से कैसे हाइड्रोजन और ऑक्सीज़न गैसें गायब हुईं। हवा, पानी से लेकर मिट्टी तक, मंगल के वातावरण के हर पहलू की शोध के जरिए समझने में मदद मिल सकेगी।



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