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Ram Mandir: PM को 32 सेकंड में करनी होगी रामजन्म मंदिर नींव की पूजा, 'हाउडी मोदी' जैसा होगा कार्यक्रम

नई दिल्ली। अयोध्या ( Ayodhya ) में राम मंदिर ( Ram Temple ) का पांच अगस्त को शिलान्यास होने वाला है। इसे लेकर अयोध्या में तैयारियां जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) 5 अगस्त को राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे। कार्यक्रम में कुल 200 लोग हिस्सा लेंगे इनमें 150 लोगों को आमंत्रण भेजा गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भूमि पूजन ( Bhoomi Pujan ) का देश भर में लाइव प्रसारण किया जाएगा। इस दौरान अमेरिका के टेक्सास शहर के हृयूस्टन में सितंबर 2019 हुए 'हाउडी मोदी' के कार्यक्रम की याद भारतवासियों के जेहन में होगी। वहीं जो सबसे खास बात है वो यह कि श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के नींव पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास 5 अगस्त को सिर्फ 32 सेकंड होंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में मंदिर स्थल के "भूमि पूजन" में हिस्सा लेंगे। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने मीडियाकर्मियों को बताया कि ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री को "भूमि पूजन" के लिए आमंत्रित किया था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।

हालांकि इस दौरान पीएम मोदी के पास सिर्फ 32 सेकंड ही होंगे। दरअसल उत्तर भारत में 5 अगस्त को भाद्रपद और दक्षिण भारत में श्रावण मास है। मुहूर्त का समय 5 अगस्त को मध्याह्न 12 बजकर 15 मिनट के आसपास है। इस मुहूर्त को काशी के प्रकांड विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने निकाला है।

इस अभिजीत मुहूर्त में 500 साल की कोशिशों को साकार करने की शुरुआत होगी। अभिजीत मुहूर्त में ही श्रीराम का जन्म हुआ था। यह शुभ मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र में उत्तर-दक्षिण के संगम से निकला है।

भूमि पूजन से पहले हनुमान गढ़ी में पूजा करेंगे पीएम
भजन पूजन दोपहर के आसपास होगा और उससे पहले, प्रधानमंत्री हनुमान गढ़ी में पूजा-अर्चना करेंगे और रामलला की मूर्ति की मूर्ति स्थापित करेंगे।

ट्रस्ट ने कहा कि उसने "भूमि पूजन" के लिए 18 जुलाई को दो तिथियों 3 अगस्त और 5 अगस्त को प्रधानमंत्री को भेजा था। इसमें से 5 अगस्तक को चुना गया। संयोग से, 5 अगस्त अनुच्छेद 370 के हनन के एक वर्ष और जम्मू-कश्मीर राज्य के दो संघ शासित प्रदेशों के विभाजन का प्रतीक होगा।

आपको बता दें कि धारा 370 और राम मंदिर दो वैचारिक मुद्दे थे जिन्हें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए के पहले अवतार में भाजपा को गठबंधन की मजबूरियों के कारण बैकबर्नर पर रखने के लिए मजबूर होना पड़ा था।



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