वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, मानसून कर सकता है Coronavirus संक्रमण में इजाफा

नई दिल्ली। सोमवार से देश में आए मानसून ( Monsoon in India ) और भारत में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों ( Coronavirus Cases in India ) के बीच वैज्ञानिकों ने एक नई चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून इस महामारी ( coronavirus s Pandemic ) को बढ़ाने का काम कर सकता है। इसका मतलब कि मानसून आने से कोरोना वायरस का संक्रमण ( Coronavirus Infection in India ) तेजी से बढ़ सकता है। देश की स्वास्थ्य-चिकित्सा एजेंसियां, अस्पताल, नगर निगमों और कर्मचारियों पर काफी दबाव पड़ जाएगा क्योंकि मानसून के दौरान ही डेंगू, मलेरिया ( Dengue-malaria ) और जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां पांव पसार लेती हैं।

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इस संबंध में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलूरु ( IIS Bengaluru ) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई ( TIFR Mumbai ) के शोधकर्ताओं ने बड़ी चेतावनी जारी की। यहां के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस बार मॉनसून में कोरोना वायरस के संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो सकता है। तापमान में कमी आने से इसके पॉजिटिव केस में उछाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

लॉकडाउन बढ़ा चुका है मुसीबत

आईआईएस बेंगलूरु के प्रोफेसर राजेश सुंदरेशन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद आवाजाही में ढील देने से मामलों में तेजी बढ़ने की चिंता सामने आ ही चुकी है। इसके साथ मानसून के दौरान नए कोरोना केस का ग्राफ कितना और ऊपर जाएगा यह कहना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में डेंगू-मलेरिया जैसी हर साल सामने आने वाली बीमारियों से ही बचाव के लिए स्वास्थ्य और चिकित्साकर्मियों को बड़ी टीम जुटानी होगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी

कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही चेतावनी जारी कर चुका है। WHO के मुताबिक वायरस बिना क्लोरीन के नल वाले पानी में दो दिन तक जिंदा रह सकता है। वहीं, अस्पताल के गंदे पानी में भी 20 डिग्री के तापमान तक यह जिंदा रह सकता है और सीवेज पानी में तो हफ्तों तक रहता है।

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जलवायु में बदलाव से परेशानी

कोरोना वायरस एयरोसोल या फिर कहें कि खांसी-जुकाम के दौरान बाहर आने वाली बूंदों से फैलता है। जब मानसून के साथ जलवायु में बदलाव आएगा तो इन बूंदों में वायरस के ज्यादा देर तक जिंदा बने रह सकने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

डेंगूृ-मलेरिया की मुश्किल

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ माह से सभी प्रदेशों ने कोरोना वायरस से जंग में ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ही सभी स्थानीय एजेंसियों को पूरी ताकत से झोंक रखा है। ऐसे में डेंगू-मलेरिया, इंसेफेलाइटिस और बाढ़ जैसे हालात में रोगों से लड़ने के लिए कर्मचारियों की कमी के साथ ही बजट भी बड़ा संकट बन सकता है।

मानसून ने दी दस्तक

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल के कई राज्यों में भारी बारिश के साथ सोमवार को दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने अनुमान में यह कहा था। केरल के साथ ही देश में करीब चार महीने के बारिश के मौसम की शुरुआत हो गई। आईएमडी ने 1 जून से केरल में मानसून के पहुंचने की बात कही थी।

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा के मुताबिक, "दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल पहुंचने के साथ देश में मानसून आ गया है। केरल में कई स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हुई। बादल और तेज हवाओं में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। यह अनुमान के अनुरूप है।"



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