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Modi Package: लॉकडाउन में गरीबों की मदद को दक्षिण भारतीय प्रदेश आगे, सबक लेने की जरूरत

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन आगामी 18 मई से बढ़ा दिया जाएगा। लेकिन इस वैश्विक संकट के बीच गरीब-जरूरतमंदों की मदद के लिए क्या क्या सरकार, तमाम जगहों पर आम इंसान भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। बावजूद इसके दक्षिण भारतीय राज्यों ने जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने की केंद्र सरकार की कोशिश के मामले में बाकी राज्यों के सामने एक उदाहरण पेश किया है, कि वे क्यों बहुत आगे हैं।

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि वो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ( PMGKAY ) के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले हर परिवार को एक किलोग्राम दाल मुफ्त में देगी। उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा सभी प्रदेशों को इसके लिए दाल का आवंटन भी कर दिया गया।

विडंबना है कि उत्तर भारत के कई प्रदेशों ने अभी तक गरीबों को दाल का वितरण भी शुरू नहीं किया। जबकि दक्षिण भारतीय प्रदेशों के पास केंद्र सरकार ने जितनी दाल पहुंचाई, उन्होंने उसे बांट दिया।

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इस संबंध में उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई तक आंध्र प्रदेश के पास जितनी दाल भेजी गई उसमें पूरी वितरित कर दी है। कर्नाटक ने उसे मिली 74 फीसदी दाल का वितरण कर दिया है। तमिलनाडु ने भी उसके पास पहुंची पूरी दाल जरूरतमंदों को बांट दी है। तेलंगाना ने पचास फीसदी दाल का वितरण कर दिया है। हालांकि, दक्षिण भारत में केवल केरल ही एक ऐसा राज्य बचा हुआ है जो अभी तक केवल 10 फीसदी दाल का वितरण ही कर पाया है।

वहीं, देश की राजधानी दिल्ली, इससे सटे उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां पर अभी तक दाल का वितरणकार्य शुरू नहीं हो सका है।

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक ये राज्य आज यानी 15 मई से वितरण शुरू करने वाले हैं। कहा गया है कि जब तक इन राज्यों के पास दाल पहुंची, वे अप्रैल के लिए मुफ्त खाद्यान्न बांट कर चुके थे। मई के खाद्यान्न के साथ दाल बांटने की बात कही गई है क्योंकि तर्क है कि 1 किलो दाल के लिए एक-एक व्यक्ति को बुलाना उचित नहीं लगता।

दूसरी तरफ, हरियाणा ने 13 मई तक 49 फीसदी दाल बांट दी है, उत्तराखंड ने 39 फीसदी, पंजाब ने 27 फीसदी और झारखंड ने 25 फीसदी दाल का वितरण किया है। जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों में अरुणाचल प्रदेश में 85 फीसदी, असम में 77 प्रतिशत, मेघालय में 99 फीसदी और मिजोरम में 72 फीसदी दाल वितरित की जा चुकी है।



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