Corona Impact : पहली बार घाटे में चलेगी Delhi Metro, सोशल डिस्टेंसिंग से 85% घटेगा राजस्व

नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो ( Delhi Metro ) की स्थापना 1995 में हुई थी। 24 दिसंबर, 2002 को पहली बार दिल्ली मेट्रो 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा-तीस हजारी कॉरीडोर पर सरपट दौड़ी थी। तब से लेकर अभी तक मेट्रो का परिचालन लाभ का सौदा रहा है। लेकिन पहली बार कोरोना वायरस ( coronavirus ) महामारी की वजह से दिल्ली मेट्रो अब घाटे में चलेगी।

अब दिल्ली में मेट्रो परिचालन को वित्तीय संकट ( Financial Crisis ) का सामना करना पड़ सकता है। इससे भविष्य में मेट्रो की दूसरी योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। यहां तक कि मेटो को लोन चुकाने में भी मुश्किलें आ सकती हैं।

फिलहाल देश की राजधानीवासियों की लाइफलाइन ( Lifeline ) मेट्रो को फिर से शुरू करने को लेकर केजरीवाल सरकार ( Kejriwal Government ) सरकार केंद्र को मसौदा भेज चुकी है। केंद्र सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। अगर मेट्रो का परिचालन जल्द शुरू नहीं हुआ तो वित्तीय संकट और गंभीर हो सकता है।

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68 दिन में 680 करोड़ का हो चुका है नुकसान

दिल्ली मेट्रो का परिचालन 22 मार्च से बंद है। यानि मेट्रो का 680 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व कम ( Revenue loss ) हुआ है। इससे मेट्रो की रोजाना लगभग 10 करोड़ की आमदनी प्रभावित हुई है। 68 दिन से ज्यादा मेट्रो सेवा को बंद हुए हो गए है। दिल्ली में 22 मार्च से मेट्रो सेवा बंद है।

मेट्रो के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब उसे वित्तीय घाटा का सामना करना होगा। मेट्रो के पिछले कुछ वर्षों के राजस्व में लगातार वृद्धि देखने को मिली है। लेकिन इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में अभी तक मेट्रो का परिचालन बंद हैं, जिससे भविष्य में मेट्रो के वार्षिक राजस्व पर खासा असर देखने को मिल सकता है। मेट्रो को सबसे ज्यादा राजस्व मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों से मिलता है।

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300 ट्रेन रोज 5000 से अधिक फेरे लगाती हैं

दिल्ली मेट्रो के पास चार, छह और आठ कोच वाली 300 से अधिक ट्रेनें हैं जो रोज अलग-अलग लाइन पर 5000 से अधिक फेरे लगाती है। यह दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) के छह शहरों गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़ और दिल्ली को आपस में जोड़ती हैं।

जापानी कंपनी को आखिरी किस्त 574 करोड़ की मिली थी

दिल्ली मेट्रो को जापानी की एक कंपनी को लोन की राशि भी चुकानी होती है। कंपनी को आखिरी किस्त 574 करोड़ रुपए की दी गई थी। अगर मेट्रो का परिचालन जल्द शुरू नहीं हुआ तो किस्त को लेकर भी संकट पैदा हो सकता है।

सोशल डिस्टेंसिग से 85% राजस्व घटेगा

लॉकडाउन के पांचवें चरण में मेट्रो चली भी तो सोशल डिस्टेंसिग के चलते मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या सीमित हो जाने से मेट्रो का परिचालन घाटे के साथ होगा। 8 कोच वाली मेट्रो में पहले ढाई हजार से अधिक लोग सफर करते थे। अब सेवा शुरू होने के बाद उसमें 400 यात्री ही सफर कर पाएंगे। इससे मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या भी कम होगी। यात्रियों की संख्या कम होने से मेट्रो का रोजाना का 85% तक राजस्व घटेगा।

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मेट्रो की आय पर एक नजर

पिछले कुछ साल के मेट्रो के राजस्व संबंधी आंकड़ों पर नजर डालें तो मेट्रो लाइन का विस्तार और यात्रियों की संख्या बढ़ने से मेट्रो के राजस्व में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में मेट्रो को 2,313 करोड़ रुपए का राजस्व मिला। इसमें 1784 करोड़ रुपए का राजस्व यात्रियों से और बाकी 529 करोड़ रुपए विज्ञापन सहित दूसरी चीजों से प्राप्त हुआ था। 2017-18 में मेट्रो का यह राजस्व बढ़कर 3,152 करोड़ रुपए पहुंच गया जिसमें 2,616 करोड़ यात्रियों से और 536 करोड़ दूसरे चीजों के शामिल है। 2018-19 में यह राजस्व 3,715 करोड़ रुपए रहा, जिसमें 3,121 करोड़ यात्रियों और 594 करोड़ रुपए की राशि विज्ञापन सहित दूसरी चीजों से प्राप्त हुई। वित्तीय वर्ष 2019-20 के आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं।

ये है दिल्ली मेट्रो का इतिहास

दिल्ली मेट्रो की स्थापना 3 मई, 1995 को हुई। दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन 24 दिसंबर, 2002 को 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा-तीस हजारी कॉरीडोर पर चली। आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते 25 सालों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ( DMRC ) ने 400 किलोमीटर लंबा नेटवर्क स्थापित कर लगभग 60 लाख लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है।



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