महाराष्ट्र में सियासी हलचल के बीच सीएम उद्धव ठाकरे ने बुलाई महाअघाड़ी नेताओं की बैठक

नई दिल्ली। कोरोनावायरस संकट ( Coronavirus ) से जूझ रहे महाराष्ट्र ( Maharashtra ) में सियासी सरगर्मी ( Political Crisis ) भी तेज होती जा रही है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ( CM Udhav Thackeray) ने अपने निवास वर्षा पर महाअघाड़ी ( Maha aghadi ) सहयोगियों की बैठक बुलाई है। महाराष्ट्र में चल रही सियासी हलचल के चलते हर किसी की नजर इस बैठक पर टिकी हुई है।

बैठकों के ताबड़तोड़ सिलसिले और सियासी दिग्गजों की हालिया मुलाकात से सत्ता के गलियारों में ये सवाल गूंजने लगा है कि क्या एक बार फिर उद्धव ठाकरे की सीएम की कुर्सी खतरे में हैं। क्या एनसीपी चीफ शरद पवार एक बार फिर सभी को चौंका देंगे।

हालांकि इन सब अटकलों के बीच उद्धव ठाकरे ने वर्षा में बुलाई बैठक से पहले ही सामाना ने अपने संपादकीय में सरकार के स्थितर होने का दावा भी कर डाला है। सामाना में छपा संपादकीय साफ इशारा कर रहा है कि प्रदेश सरकार पर किसी भी तरह की तलवार नहीं है।

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सामना की ये संपादकीय ऐसे वक्त में सामने आया है जब शरद पवार की राज्यपाल से मुलाकात ने प्रदेश में सियासी अटकलों को हवा दी है।

हालांकि शिवसेना इन मुलाकातों को एक राजनीतिक घटनाक्रम बता रही है और इसी लाइन पर सामना का संपादकीय भी है। दरअसल शरद पवार ने पहले राज्यपाल से मुलाकात की और उसके बाद मातोश्री पहुंचे।

सामाना ने अपने संपादकीय में सरकार को स्थिर बताने पर जोर दिया है साथ ही ये भी लिखा है कि राजभवन में आने-जाने के सिलसिला पिछले कुछ दिनों से अगल बढ़ गया है तो इसमें परेशानी क्या है? वहीं शरद पवार के मातोश्री जाने पर हंगामा क्यों हो रहा है? ऐसा तो नहीं है कि पवार पहली बार मातोश्री आए हों। सामाना ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए सरकार को पूरी तरह स्थिर बताने की कोशिश की है।

तो सरकार मना रही होती जश्न
सामाना में ये भी लिखा है कि अगर कोरोना महामारी जैसा संकट खड़ा ना होता है इस वक्त महाराष्ट्र सरकार अपने 6 महीने पूरे करने का जश्न मना रही होती।

बीजेपी ने लगाया कुर्सी की राजनीतिक का आरोप
सियासी घटनाक्रम में उस वक्त उबाल आ गया जब भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना और महाअघाड़ी पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर जहां महाराष्ट्र में लोग कोरोना से जूझ रहे हैं वहीं शिवसेना कुर्सी की राजनीति में लगी हुई है।

महाराष्ट्र के कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित होने के बाद यह कहा जा रहा था कि उद्धव ठाकरे की कार्यप्रणाली को लेकर महा अघाड़ी में असंतोष पनप रहा है। ऐसे में ही शरद पवार का अचानक राजभवन जाना एक सियासी चर्चा को शुरू कर गया।



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