रवि प्रदोष : व्रत रखकर सूर्यास्त के समय जरूर करें ऐसी शिव पूजा, जो चाहे मिलेगा
इस रविवार 5 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने के कारण शास्त्रों के अनुसार वह रवि प्रदोष व्रत का दिन माना जाता है। रवि प्रदोष के दिन जो भी शिव भक्त व्रत रखकर सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष पूजा उपासना करता है, महादेव भोलेबाबा उनको प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
शिव पूजा का फल अनंत गुना
वैसे तो प्रदोष काल व्रत का दिन हर महीने आता है, लेकिन अगर यह दिन रविवार के दिन हो तो इसका महत्व सैकड़ों गुना अधिक हो जाता है। सबसे उत्तम व पवित्र समय प्रदोष काल बताया गया है, जो दिन का अंत और रात्रि के आगमन के बीच का समय होता है वही प्रदोष काल कहलाता है। इस काल में की गई शिव पूजा का फल अनंत गुना बड़ जाता है और इस समय की गई शिव जी की पूजा आराधना से साधक की हर इच्छा पूरी होने लगती है।
दरिद्रता हो जाती है दूर
दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है। ‘प्रदोष स्तोत्र’ में कहा गया है- यदि दरिद्र व्यक्ति प्रदोष काल में भगवान गौरीशंकर की आराधना करता है तो वह धनी हो जाता है और यदि राजा प्रदोष काल में शिवजी की प्रार्थना करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है, वह सदैव निरोग रहता है, एवं राजकोष की वृद्धि व सेना की बढ़ोत्तरी होती है।
ऐसे करें प्रदोष काल में शिव पूजा
1- सूर्यास्त के 15 मिनट पहले स्नान कर धुले हुये सफेद वस्त्र पहनकर- शिवजी को शुद्ध जल से फिर पंचामृत से स्नान कराये, पुन: शुद्ध जल से स्नान कराकर, वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, अक्षत, इत्र, अबीर-गुलाल अर्पित करें। मंदार, कमल, कनेर, धतूरा, गुलाब के फूल व बेलपत्र चढ़ाएं, इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल व दक्षिणा चढ़ाकर आरती के बाद पुष्पांजलि समर्पित करें।
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2- उत्तर दिशा की ओर मुख करके भगवान उमामहेश्वर का ध्यान कर प्रार्थना करें- हे उमानाथ- कर्ज, दुर्भाग्य, दरिद्रता, भय, रोग व समस्त पापों का नाश करने के लिए आप पार्वतीजी सहित पधारकर मेरी पूजा स्वीकार करें।
प्रार्थना मन्त्र
‘भवाय भवनाशाय महादेवाय धीमते।
रुद्राय नीलकण्ठाय शर्वाय शशिमौलिने।।
उग्रायोग्राघ नाशाय भीमाय भयहारिणे।
ईशानाय नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नम:।।
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