बोडो समझौता क्या है? जानिए इसकी सबसे खास बातें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) आज बोडो समझौते ( Bodo Agreement ) को लेकर कोकराझार में होने वाले समारोह में शिरकत करने जा रहे हैं, इस मौके पर पीएम बोडो समझौते के बारे में लोगों को संबोधित भी करेंगे। पीएम ने गुरुवार को खुद इस बारे में ट्वीट भी किया था कि मैं असम में दौरे को लेकर उत्सुक हूं। मैं एक जनसभा को संबोधित करने के लिए कोकराझार में रहूंगा।

देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू ( NRC ) होने और एनआरसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार असम ( Assam ) के दौरे पर जा रहे हैं, पूर्वोत्तर में एनआरसी और सीएए को लेकर सरकार का जमकर विरोध हो रहा है। ऐसे में देखना होगा कि आज पीएम मोदी के दौरे पर किस तरह की प्रतिक्रियाएं आती हैं।

इससे पहले पीएम मोदी जनवरी महीने में असम जाने वाले थे लेकिन किन्हीं कारणों से उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी। जिस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ( Congress ) ने आरोप लगाया था कि सीएए ( CAA ) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह सी पीएम ने असम की यात्रा को रद्द किया ।

भारत सरकार ने हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य असम में दशकों से चले आ रहे आतंरिक संघर्ष पर विराम लगाने के लिये सरकार, असम राज्य सरकार एवं बोडो समुदाय के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता किया। बोडो जनजाति के लोग दशकों से ब्रह्मपुत्र नदी के तट के ऊपरी क्षेत्र को एक अलग बोडोलैंड राज्य बनाने की मांग कर रहे थे।

इस आंदोलन के पीछे यह तर्क दिया जाता रहा है कि बोडो जनजातीय क्षेत्र में अन्य समुदायों की अधिकृत मौजूदगी से इस समुदाय के प्रभुत्त्व, पहचान और संस्कृति को खतरा है। यही वजह रही कि बोडो आंदोलन से जुड़े लोगों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिये कई बार हिंसा का रास्ता अपनाया। जिसके कारण लंबे समय से इस क्षेत्र में अशांति बनी हुई थी।

क्या है बोडो समझौता बोडोलैंड

इसे आधिकारिक तौर पर बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल ( BTC ) कहा जाता है। इस समझौते के लागू होने के बाद इसका नाम बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन ( BTR ) हो गया है। इस समझौते के तहत बीटीआर को अब अधिक अधिकार दिए जाएंगे। इसके साथ ही बीटीसी की मौजूदा 40 सीटों को बढ़ाकर 60 किया जाएगा। जबकि गृह विभाग को छोड़कर विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सारे बीटीआर के पास रहेंगे।

समझौते के मुख्य बिंदु:-

  • इस समझौते में शामिल सभी पक्षकारों ने पृथक बोडोलैंड राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की बजाय असम राज्य के अंतर्गत ही स्वायत्त बोडोलैंड क्षेत्र की व्यवस्था पर अपनी सहमति जताई।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार, बीटीसी और बोडो संगठन की साझा कमेटी बनाई जाएगी।
  • बोडो लोगों की पहचान, भाषा, शिक्षा और भूमि अधिकार से जुड़े मुद्दों का समाधान किया जाएगा।
  • बोडो माध्यम स्कूलों के लिये एक अलग निदेशालय की स्थापना की जाएगी।
  • NDFB के सदस्यों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास को भी इस समझौते में शामिल किया गया है।
  • NDFB गुट हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करेंगे।
  • अब नई व्यवस्था में बोडोलैंड क्षेत्र के अंतर्गत 4 ज़िलों के स्थान पर 7 ज़िले होंगे।
  • सरकार समझौते के तहत बोडो क्षेत्रों के विकास के लिये 1,500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज़ जारी करेगी।
  • बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को 5 लाख रुपए मुआवज़े के रूप में दिये जाएंगे।
  • बोडो बाहुल्य क्षेत्र के भविष्य और इसके विकास के लिये संविधान की छठी अनुसूची के सेक्शन 14 के तहत एक आयोग का गठन किया जाएगा।


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