दिल्ली में ठंड का कहर : रैनबसेरों में बिस्तर कम, महिलाओं के लिए भी समस्याएं

Bed in Delhi's Ranbasare low
दिल्ली में ठंड का कहर जारी, रैनबसेरों में बिस्तर कम
केयर-टेकर 'जुगाड़' से किए जा रहे इंतजाम
ज्यादा से ज्यादा लोगों को ठहराने का प्रयास
महिलाओं की व्यवस्था करने में समस्या
दिल्ली के 221 रैनबसेरों की आधिकारिक क्षमता लगभग 17,000 है जो साल 2011 की जनगणना के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की बेघर आबादी के आधे के लिए भी पर्याप्त नहीं है। जाड़े के इस मौसम में इन रैनबसेरों में जगह की कमी के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं। बेघर लोग और रैनबसेरे बनाने और उनमें बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
राजधानी में चल रहे शीतलहर
राष्ट्रीय राजधानी में इन दिनों शीतलहर चल रही है। इस साल के दिसंबर महीने को सन 1997 के बाद सबसे ठंडा माना गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने दिल्ली व आसपास के इलाकों के लिए एक 'कोड रेड' चेतावनी जारी की है। ऐसे हालात में इन रैनबसेरों के केयर-टेकर 'जुगाड़' के सहारे इनमें यथासंभव ज्यादा से ज्यादा लोगों का समावेश करने का प्रयास कर रहे हैं।
ज्यादा लोगों को ठहराने की कोशिश
शाहदरा के पंचशील गार्डन स्थित खचाखच भरे एक रैनबसेरा (कोड नंबर 146) के केयर-टेकर के अनुसार- "आधिकारिक क्षमता 40 रहने के बावजूद अभी हमारे पास सिर्फ 20 बिस्तर हैं। हम और बिस्तर व कंबल का इंतजाम कर रहे हैं। हम इस कोशिश में लगे हैं कि इसी में ज्यादा से ज्यादा लोगों के रहने की गुंजाइश हो जाए।"
महिलाओं के लिए समस्या
इन रैनबसेरों में बेघर महिलाओं के आने पर उनके लिए अलग से इंतजाम करने की समस्या रहती है। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसबीआईएन) के मुताबिक, इस समय चल रहे रैनबसेरों में महिलाओं के लिए बिस्तरों की संख्या मात्र 1,000 है। ब्योरे के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में बेघर महिलाओं की संख्या लगभग 10,000 है।
गर्म पानी की सुविधा नहीं
आनंद विहार में आईएसबीटी के पास बने एक रैनबसेरे में रहने वाली महिला प्रिया ने बताया कि "मैं 10 दिनों से नहा नहीं पाई हूं। पानी है, लेकिन इतना सर्द है कि नहाने की हिम्मत नहीं पड़ती। यहां गर्म पानी की सुविधा नहीं है।"
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