दिल्ली: पराली जलाए जाने से बिगड़ी राजधानी की फिजा, वायु गुणवत्ता 'अति गंभीर'

नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा में प्रतिबंध के बावजूद लगातार पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की वायु गुणवत्ता बहुत ज्यादा बिगड़ गई है।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) इंडिया के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 412 पर पहुंच गया है जो 'अति गंभीर' श्रेणी में आता है।
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[MORE_ADVERTISE2]Delhi: Air quality in 'Severe' category in areas around Major Dhyan Chand National Stadium and India Gate, according to Central Pollution Control Board pic.twitter.com/Wm7wrgbCWx
— ANI (@ANI) November 1, 2019
आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को धुंध और वायु प्रदूषण 35 प्रतिशत रहा, गुरुवार को इसके 24 प्रतिशत रहने का अनुमान था और शुक्रवार को इसके 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
फसल के अवशेषों को जलाने की अपेक्षा उन्हें उर्वरकों में बदलने के लिए जरूरी तकनीकों और मशीनरियों को खरीदने के लिए किसानों को केंद्र सरकार द्वारा 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान किए जाने के बावजूद पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है।
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#Delhi: Major pollutants PM 2.5 at 500 and PM 10 at 500 both in 'severe' category in Lodhi Road area, according to the Air Quality Index (AQI) data. pic.twitter.com/AfzXuDUxuH
— ANI (@ANI) November 1, 2019
सरकार के एक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि किसानों को राज्य सरकारें सुविधाएं दे रही हैं, और पिछले कुछ सालों ने केंद्र ने इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं।
हरियाणा में सिरसा के एक किसान संजय न्योल ने कहा कि ज्यादातर किसान मशीनों का उपयोग कर पराली को मिट्टी में मिला देते हैं क्योंकि वे पराली जलाए जाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से परिचित हैं।
लेकिन कुछ स्थानों पर पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है, और कार्रवाई भी की गई है।

पर्यावरणविद् कहते हैं कि धुंध के लिए पराली जलाया जाना सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। धुंध ने पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर को ढंका हुआ है।
टेरी के एक विशेषज्ञ सुमित शर्मा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान सीजन में वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी और धुंध का 30-60 प्रतिशत पराली जलाए जाने के कारण है।

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