Krishna Janmashtami : जन्माष्टमी की रात इस स्तुति का पाठ करने से रोम-रोम में होता प्रेम का जागरण, साक्षात दर्शन होते हैं लीलाधर कन्हैया के
भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम का प्रतिक माना जाता है। कृष्ण भक्त महाप्रभु श्रीमद्वल्लभाचार्य भगवत्प्रेममय थे। कहा जाता है श्रीमद्वल्लभाचार्य जी कि गोपी प्रेम के साकार स्वरूप ही थे और प्रतिक्षण प्रभु की परम प्रेममयी निकुन्जलीला के दिव्य रस में मग्न रहते थे। उनके रोम-रोम से दिव्य भगवत्प्रेम उमड़ता रहता था। जो भी उनकी संनिधि में रहता, वह श्रीकृष्णप्रेम-युक्त हो जाता। श्रीमद्वल्लभाचार्य जी ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबकर प्रेममयी एक ऐसी स्तुति की रचना की जिसका पाठ करने वाले के रोम-रोम में भी प्रेम का जागरण होने लगता है।
Janmashtami Puja Vidhi Shubh Muhurat : जन्माष्टमी पर्व पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 24 अगस्त 2019
महाप्रभु श्रीमद्वल्लभाचार्य के द्वारा उपदिष्ट पुष्टिमार्ग प्रेममार्ग है। भगवत्स्वरूप की सेवा के लिये भक्ति में स्नेह प्रेम जरूर है। जब भक्त का चित्त भगवत्प्रेममय होकर भगवत्प्रवण हो जाता है, तभी सेवा सधती है और प्रेमपूर्वक सेवा करने से सेव्य-स्वामी अवश्य प्रसन्न होते हैं। भगवान भी अपने प्रेमी भक्तों के वश में हो जाते हैं। भक्तिमार्ग में ज्ञान-क्रिया-उभयरूप में प्रमेय हैं। वे ही भक्तिमार्ग में फलरूप हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : धनिए की पंजीरी का भोग है कान्हा जी को सबसे अधिक प्रिय, जानें क्यूं
।। अथ श्रीकृष्ण स्तुति ।।
"मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्"
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
ह्र्दयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेखिलं मधुरम्॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर: पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं॥
जन्माष्टमी : ऐसे करें लड्डू गोपाल का अभिषेक, जो चाहोगे मिलेगा
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं स्मणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपी मधुरं लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा याष्टिर्नधुरा सृष्टिमधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
॥ इति श्रीमाद्वल्लभाचार्या विरचितम मधुरष्टकं सम्पूर्णम् ॥
**************
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...
Post a Comment