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Kashmir Premiere League: इस लीग को लेकर क्यों आमने-सामने हैं भारत-पाक, जानिए कूटनीतिक मायने

नई दिल्ली। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ( POK ) में कश्मीर प्रीमियर लीग ( Kashmir Premiure League ) का आगाज 6 अगस्त से हो रहा है। बीते कुछ दिनों से कश्मीर प्रीमियर लीग (KPL) काफी चर्चा में है। PCB ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( BCCI ) विदेशी खिलाड़ियों को KPL में नहीं खेलने की धमकी दे रही है।

दरअसल भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट को काफी पसंद किया जाता है और दोनों देशों के बीच हमेशा रहने वाले तनाव को क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए सुलझाने की कोशिश भी की जाती है। लेकिन इस बार तनाव कुछ ज्यादा है। इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच में क्रिकेट को लेकर तनाव पैदा होता दिख रहा है। कैसे शुरू हुआ ये विवाद और क्या है इसके कूटनीतक मायने जानते हैं।

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मॉन्टी पनेसर ने बदला फैसला
मॉन्टी पनेसर ने ट्वीट कर कहा कि केपीएल को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर तनाव बढ़ रहा था, इसलिए उन्होंने खुद को अलग कर लिया है।

ईसीबी ने दी सलाह
मॉन्टी पनेसर ने स्पोर्ट्स यारी नाम के यूट्यूब चैनल से कहा, 'हमें इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने कहा कि अगर मैं KPL में जाऊंगा तो इसके बुरे नतीजे होंगे। भारत में क्रिकेट के जो भी मौके हैं, वे नहीं मिलेंगे। भारत का वीजा नहीं मिलेगा। हमें ईसीबी से सलाह मिली है और मैंने ये फैसला लिया। केपीएल से ज्यादा जरूरी मेरे लिए भारत है।

कूटनीतिक मायने
1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने तीन में से दो युद्ध लड़े हैं। दोनों पक्ष इस क्षेत्र पर पूर्ण दावा करते हैं, लेकिन इसके अलग-अलग हिस्सों का प्रशासन करते हैं।
भारत और बीसीसीआई का दावा है कि कश्मीर प्रीमियर लीग को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर ( POK ) को वैध बनाने के लिए बनाया गया है। जबकि इस इलाके को लेकर विवाद जारी है।

यही वजह है कि भारत ने कूटनीति के जरिए अन्य विदेशी खिलाड़ियों को इस विवादित इलाके में हो रही लीग में खेलने से मना किया है। आने वाले समय में पीओके को लेकर मोदी सरकार की ठोस रणनीति भी सामने आ सकती है, जिसका असर व्यापार से लेकर अन्य क्षेत्रों के रूप में पाकिस्तान को झेलना पड़ सकता है।

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वहीं बीसीसीआई ने भी कश्मीर प्रीमियर लीग (केपीएल) को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। बीसीसीआई ने अनौपचारिक रूप से बोर्डों को सूचित किया है कि विवादास्पद लीग में किसी भी तरह की भागीदारी का मतलब होगा कि बीसीसीआई के साथ उनका व्यावसायिक गठजोड़ समाप्त हो जाएगा।

BCCI के एक अधिकारी ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और बोर्ड को पाकिस्तान सुपर लीग ( PSL ) में खेलने वाले खिलाड़ियों से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन POK में लीग की बात आने पर उसे रेखा खींचनी पड़ी।

जाहिर है इसका खामियाजा भविष्य में उन खिलाड़ियों को भी भुगतना पड़ सकता है जो केपीएल का हिस्सा बन रहे हैं।



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