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Article 370 Scrapped Anniversary: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग किए जाने के बाद दो साल में चीन पर कितना पड़ा असर?

नई दिल्ली। 5 अगस्त (गुरुवार) को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35 ए को हटाए जाने के दो साल पूरे हो रहे हैं। इस विशेष मौके पर केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है और लोगों के बीच इसकी उपलब्धियां भी बता रही हैं। पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35ए को हटा दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया था।

मोदी सरकार के इस फैसले पर देश के भीतर तमाम विपक्षी दलों ने विरोध जताया तो वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन ने भी अपनी आपत्ति जताई। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को इसका समर्थन मिला अमरीका, रूस, फ्रांस आदि देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए इस पर टिप्पणी करने से दूरी बना ली।

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ऐसे में पाकिस्तान और चीन के लिए मोदी सरकार के फैसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के इरादे को बहुत बड़ा झटका लगा। अब इस ऐतिहासिक घटना के दो साल पूरे होने के अवसर पर ये जानना बेहद जरूरी है कि मोदी सरकार के इस फैसले यानी जम्मू-कश्मीर राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के दो साल बाद कितना रणनीतिक असर पड़ा है? आइए कुछ बिन्दुओं के जरिए जानने की कोशिश करते हैं..

LAC पर चीन की बौखलाहट

भारत सरकार द्वारा दो साल पहले जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर दो अल-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर चीन की बौखलाहट काफी बढ़ गई है। इसका परिणाम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। चीन की सेना लगातार उकसावे वाली गतिविधियां कर रही है। पहले डोकलाम और फिर बाद में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियां इसका उदाहरण है।

पिछले साल गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा अचानक भारतीय सेना पर हमला किया गया, जिसमें 20 से अधिक भारतीय जवान शहीद हो गए। हालांकि भारत के जाबाजों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 से अधिक सैनिकों को मार गिराया। तब से लेकर अब तक पूर्वी लद्दाख और बाकी अन्य क्षेत्रों पर तनाव बरकरार है। हालांकि, दोनों देशों के सैन्य कोर कमांडर के बीच 12 दौर की वार्ता हो चुकी है और चीन को भारत के आगे झुकना पड़ा है।

भौगोलिक स्तर पर चीन को मिली मात

दरअसल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर चीन को भौगोलिक स्तर पर काफी बड़ा झटका लगा है। चूंकि चीन लद्दाख के कुछ हिस्सों को अपना बताकर उसपर दावा करता रहा है। लेकिन अब लद्दाख भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है, ऐसे में चीन खुलकर अब ये दावा करने में झिझक रहा है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से लद्दाख में भारत प्रशासनिक स्तर पर काफी सक्रिय हो चुका है और चप्पे-चप्पे पर भारत की नजर है।

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लद्दाख के एक केंद्र शासित प्रदेश बनने पर चीन को तिब्बत का डर सताने लगा है। लद्दाख को लेकर तिब्बत के लोगों ने भारत के फैसला का स्वागत किया। इससे चीन को ये डर सताने लगा कि कहीं तिब्बत के लोग भी बगावत पर न उतर आए। ऐसे में चीन के लिए बड़ी रणनीतिक हार माना जा सकता है। दूसरी बात अक्साई चिन पर वह अपना क्षेत्रीय दावा पेश करता रहा है, लेकिन अब चीन को ये भी डर है कि भारत अक्साई चिन पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

सैन्य तैयारियों में चीन को झटका

लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने से चीन को सैन्य तैयारियों के स्तर पर भी झटका लगा है। चूंकि पहले भारत का अधिकतर ध्यान पाकिस्तान से सटे सीमा यानी LoC की तरफ था। इसका फायदा उठाकर चीन लद्दाख से सटे इलाकों में अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ाता जा रहा था। लेकिन अब भारत भी काफी सक्रिय हो गया है और लद्दाख समेत पूरे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सैन्य तैयारियों को पहले के मुकाबले अधिक मजबूत किया है। चीन की हर सैन्य गतिविधि पर भारत की पैनी नजर है। ऐसे में ये माना जा सकता है कि चीन के लिए एक बड़ा झटका है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन को झटका

दो साल पहले भारत की ओर से लिए गए ऐतिहासिक फैसले से चीन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी झटका लगा है। अमरीका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, श्रीलंका आदि तमाम देशों ने भारत के फैसले को आंतरकि मामला बताते हुए कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार किया। वहीं, चीन को ये डर सताने लगा कि यदि अब लद्दाख या जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाया गया तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। हांगकांग, ताइवान, तिब्बत आदि कई इलाकों से चीन के खिलाफ विरोध के स्वर उठते रहे हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर या लद्दाख का मामला जोर-शोर से उठाने पर चीन को हांगकांग. ताइवान आदि पर झटका लग सकता है। लिहाजा. चीन इस विषय पर खुलकर बोलने से अब बच रहा है।

पाकिस्तान और चीन के संबंधों पर भी असर

भारत के फैसले का जो सबसे व्यापक असर चीन-पाकिस्तान के संबंधों पर पड़ा है। चूंकि चीन पाकिस्तान के कंधे पर बंदुक रखकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता था। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर चीन अपनी घुसपैठ बढ़ाने में जुटा है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का परियोजना पर काम कर रहा है। लेकिन भारत के फैसले से इस परियोजना को भी झटका लगा है। इसका असर, अब पाकिस्तान और चीन के संबंधों पर दिखाई पड़ रहा है। चीन को अब ये डर सताने लगा है कि कही भारत के फैसले से अरबों रुपये बर्बाद न हो जाए। भारत शुरू से ही CPEC परियोजना का विरोध करता रहा है।



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