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WhatsApp message को सबूत नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों से Whatsapp की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर बवाल मचा हुआ है। Whatsapp की प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव को स्वीकार करना पड़ रहा है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी बयान दे चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले को लेकर कहा है कि जब whatsapp अपनी प्राइवेसी पॉलिसी बदल रहा है और नए-नए अपडेट आ रहे हैं तो whatsapp के मैसेज को सबूत नहीं माना जा सकता। विशेषकर व्यापार से जुड़े मामले जिनमें पैसे के लेनदेन की बात हो।

क्या है पूरा मामला

दरअसल यह मामला 2 दिसंबर 2016 का south delhi municipal corporation और A2Z इन्फ्रासर्विसेस व quippo इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच हुए एक एग्रीमेंट से जुड़ा है। जिसमें ये कंपनिया कचरे को इक्कठा करके उसका ट्रांसपोर्टेशन करने का एग्रीमेंट करती हैं। इसके लिए A2Z इंफ्रा. सारा पैसा एक escrow खाते में जमा होने के बाद अन्य पक्षों को पैसा देने पर सहमत होती है। लेकिन पिछले साल 28 मई को A2Z इंफ्रा quippo के साथ अपना एग्रीमेंट खत्म कर देती है।

Quippo इसके खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट चली जाती है और उसके व A2Z के बीच हुए एग्रीमेंट के मामले में एक मध्यस्थता पैनल बनाने की मांग करती है।

Quippo का आरोप

Quippo ने कलकत्ता हाईकोर्ट में कहा कि 19 मार्च 2020 को A2Z ने whatsapp मैसेज पर Quippo का 8.18 करोड़ रुपए बकाया होने की बात मानी थी। इसके अलावा Quippo इंफ्रा ने 2018 का एक ईमेल भी कोर्ट में दिखाया जिसमें A2Z इंफ्रा ने साउथ दिल्ली मुंसिपल कॉर्पोरेशन से मिला पैसा इस escrow खाते में जमा करने पर सहमत हुई थी।

Quippo के इस आरोप पर A2Z इंफ्रा ने कहा कि ये सारे मैसेज झूठ हैं व इनको एडिट किया गया है। ये मैसेज उसके द्वारा नहीं भेजे गए हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने A2Z इंफ्रा को सारा पैसा escrow खाते के जमा करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ A2Z इंफ्रा सुप्रीम कोर्ट चला गया।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है हाईकोर्ट ने कैसे वॉट्सएप मैसेज को सबूत मानकर फैसला सुना दिया। हम इस फैसले को नहीं मानते और escrow खाते में पैसा जमा कराने के लिए A2Z मजबूर नहीं है क्योंकि whatsapp के मैसेज के आधार पर कोर्ट फैसला नहीं सुना सकती है।



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