Header Ads

जम्मू-कश्मीर: अगले साल पूरा होगा परिसीमन, अनुसूचित जाति के लिए पहली बार सीटें आरक्षित

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। लेकिन उससे पहले परिसीमन का कार्य भी तेजी के साथ आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। श्रीनगर पहुंचे परिसीमन आयोग की टीम ने स्पष्ट किया है कि अगले साल तक परिसीमन का कार्य पूरा हो जाएगा। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 2022 या 2023 में विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए परिसीमन आयोग ने शुक्रवार को कहा कि अगले साल मार्च तक परिसीमन का कार्य पूरा कर ली जाएगी। सबसे खास बात कि परिसीमन के बाद राज्य में सात सीटें बढ़ जाएंगी और उससे भी सबसे अहम बात ये है कि पहली बार अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा की सीटें आरक्षित होंगी।

यह भी पढ़ें :- जम्मू-कश्मीर: आखिर मोदी सरकार क्यों चाहती है विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन?

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें (वर्तमान में 83) होंगी। उन्होंने कहा कि हमें अनुसूचित जाति के लिए भी सीटें आरक्षित करनी हैं। ऐसा पहली बार हो रहीा है कि परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों और जिला प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चर्चा की है।

कई तरह की खामियों से परेशान हैं लोग: चुनाव आयोग

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का सही से परिसीमन नहीं होने की वजह से कई तरह की खामियां हैं, जिसकी वजह से लोग परेशान हैं। यदि 1995 की बात करें तो यहां 12 जिले थे और अब बढ़कर 20 हो गई है। इसके अलावा तहसीलें 58 थीं, अब बढ़कर 270 हो गई हैं।

ऐसे में 12 जिलों में विधानसभाओं का दायरा जिलों के दायरों से भी बाहर हो गया है। कई विधानसभाओं में जिला और तहसीलें एक-दूसरे से मिल रही हैं। इस तरह की कई तरह की खामियां हैं, जिससे प्रशासन और लोगों को वैधानिक संकट के साथ अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

25 सालों से नहीं हुआ परिसीमन

सुनील चंद्रा ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में 25 सालों से परिसीमन नहीं हुआ है। आखिरी बार यहां पर 1995 में परिसीमन किया गया था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का इतिहास काफी पुराना है। 1951 में जम्मू-कश्मीर में 100 सीटें थीं। इनमें से 25 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में थीं।

यह भी पढ़ें :- जानिए, राजस्थान में कब-कब हुआ परिसीमन और क्या है स्थिती - देखें पत्रिका की ये रिपोर्ट..

पहली बार डीलिमिटेशन कमीशन 1981 में बनाया गया, जिसने 14 साल बाद 1995 में अपनी रिकमंडेशन भेजीं। 1981 की जनगणना के आधार परिसीमन किया गया था। इसके बाद से अब तक कोई परिसीमन नहीं किया गया है।

इसके बाद 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद परिसीमन की चर्चा शुरू हुई। 2011 की जनगणना के आधार पर 2020 में परिसीमन आयोग को डीलिमिटेशन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए। अब इस परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में 7 और सीटें (जम्मू संभाग में) बढ़ जाएंगी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों का गणित

अभी मौजूदा स्थिति में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों का गणित कुछ इस तरह है कि कश्मीर संभाग ज्यादा मजबूत स्थिति में दिखाई पड़ता है। अनुच्छेद 370 के खत्म होने से पहले राज्य में कुल 87 सीटें थी। इनमें जम्मू संभाग में 37 और कश्मीर संभाग में 46 सीटें हैं। इसके अलावा लद्दाख में 4 सीटें आती हैं। हालांकि लद्दाख के अलग होने के बाद यहां अब 83 सीटें बची हैं।

जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट (JKRA) के तहत नई विधानसभा में 83 की जगह 90 सीटें होंगी। ये सातों सीटें जम्मू संभाग में बढ़ेंगें। ऐसे में यदि 7 सीटें जम्मू के खाते में जाती हैं तो 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू में 44 और कश्मीर में 46 सीटें हो जाएंगी। इसके अलावा कश्मीर संभाग के कुछ सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए जाएंगें। विशेषज्ञों का मानना है कि सीट बढ़ाने के लिए सिर्फ आबादी ही पैरामीटर नहीं है। इसके लिए भूभाग, आबादी, क्षेत्र की प्रकृति और पहुंच को आधार बनाया जाएगा।

यह भी पढ़ें :- Assam में परिसीमन पर कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल, SC ने केन्द्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में इससे पहले 1963, 1973 और 1995 में परिसीमन हुआ था। चूंकि, राज्य में 1991 में जनगणना नहीं हुई थी, लिहाजा इस वजह से 1996 के चुनावों के लिए 1981 की जनगणना को आधार बनाकर सीटों का निर्धारण हुआ था। माना जा रहा है कि पूरे देश में 2031 के बाद परिसीमन हो सकता है। चूंकि 2021 में जनगणनना होना है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से संभवतः इस साल न हो। पर अगले या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संभव है कि जनगणनना का कार्य पूरा कर लिया जाए और फिर उसके आधार पर परिसीमन किया जाएगा।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.