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भारतीय इतिहास को सुधारने का काम जारी, अब पैनल ने हितधारकों से मांगे सुझाव

नई दिल्ली। इतिहास के पाठ्यक्रमों में गलत तथ्यों को हटाने और सही तथ्यों और संदर्भों से छात्रों को रूबरू कराने की योजना पर तेजी से काम जारी है। इस काम को अंजाम देने के लिए भारत सरकार ने एक संसदीय समिति गठित की थी। यह समिति भारत भर की पाठ्यपुस्तकों में 'अनैतिहासिक संदर्भ' की पहचान करने और 'भारतीय इतिहास में अवधियों के अनुपातहीन प्रतिनिधित्व' को ठीक करने पर काम कर रही है। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए संसदीय समिति ने अब इससे जुड़े सभी हितधारकों से सुझाव मांगे हैं।

सुझाव देने की अंतिम तिथि 15 जुलाई

विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति अब इस मुद्दे पर हितधारकों और आम लोगों से सुझाव देेने मांग की है। विषय में रुचि रखने वाले शिक्षकों और छात्रों और अन्य लोगों को 30 जून तक अपने सुझाव प्रस्तुत करने के लिए बुलाया गया था। कोविड-19 दूसरी लहर के कारण कुछ विशेषज्ञ अपने सुझाव देने में असमर्थ थे। इसे देखते हुए हाउस पैनल ने सुझाव देने की समय सीमा बढ़ाकर 15 जुलाई करने का फैसला किया है। संसदीय समिति के सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट लगभग अंतिम थी लेकिन बाद में कुछ लोगों ने सुझाव देने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। दूसरी लहर के कारण कई प्रभावित हुए और योगदान करने में असमर्थ रहे। इसे देखते हुए हाउस पैनल ने समय सीमा बढ़ाकर 15 जुलाई कर दी है। हम नहीं चाहते कि कोई भी इस महत्व की कवायद में हिस्सा लेने से वंचित रहे।

आपातकाल और पोखरण टेस्टे पाठ्यक्रमों में हो सकता है शामिल

इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के सांसद और शिक्षा पर गठित संसदीय समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे संसद ने कहा है कि भारत में स्कूली पाठ्यपुस्तकों को देश को सबसे पहले रखना चाहिए। 1975 में हुए आपातकाल और 1978 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षणों को भी भारतीय शिक्षा में विधिवत प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। सहस्रबुद्धे का कहना है कि इतिहासकारों के एक निश्चित समूह द्वारा अनैतिहासिक संदर्भ दिए गए थे। वह साइलो में कामकाज की संस्कृति को समाप्त करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं और उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि एनसीईआरटी और आईसीएचआर को इतिहास लेखन के लिए सहयोग से काम करना चाहिए। एक निश्चित प्रकार के इतिहासकारों के वर्चस्व को समाप्त होना चाहिए।

इससे पहले राज्य सभा सचिवालय ( समिति अनुभाग ) की ओर से नोट में कहा गया था कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में सुधार का काम सबसे पहले जरूरी है। पाठ्यपुस्तकों से हमारे राष्ट्रीय नायकों के बारे में अनैतिहासिक तथ्यों और विकृतियों के संदर्भों को हटाना, सभी अवधियों के समान या आनुपातिक संदर्भ सुनिश्चित करना समिति के काम में शामिल है। भारतीय इतिहास," और गार्गी, मैत्रेयी या झांसी की रानी, राम चन्नम्मा, चांद बीबी और ज़लकारी बाई जैसे शासकों सहित महान ऐतिहासिक महिला नायकों की भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा।



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