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Covid 19 से मृत्यु पर मुआवजे की अपील पर सरकार ने कहा, सुविधाओं को बेहतर बनाना है पहली प्राथमिकता

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु पर परिवार को चार लाख रूपए मुआवजा दिलाने की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी आपदा में मृतकों की संख्या अत्यधिक हो जाए तो उन्हें मुआवजा देना सरकार के लिए कठिन होता है। परन्तु सरकार को मृतकों के आश्रितों के लिए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।

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सुनवाई के दौरान सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के पास पैसा है कि परन्तु पैसे को मुआवजे के बजाय किसी ऐसे तरह से खर्च किया जाना चाहिए कि उसका उपयोग हो सके। मेहता के इस तर्क से न्यायाधीश एम. आर. शाह ने भी सहमति जताई।

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सरकार ने कहा, इस मामले में मुआवजा देना हमारे लिए संभव नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि आपदा राहत की परिभाषा अब पहले से अलग है। पहले की नीति में केवल प्राकृतिक आपदाओं में राहत पहुंचाने की बात कही गई थी परन्तु अब किसी भी आपदा से निपटने की तैयारी की बात भी इसमें शामिल कर ली गई है। मेहता ने कहा कि कोरोना प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में आती है परन्तु इस मामले में मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि मुआवजा ऐसे मामले में दिया जाता है जो एक बार हो यथा भूकंप अथवा बाढ़। परन्तु कोरोना लगातार हो रहा है, ऐसे में इसके लिए मुआवजा देना सरकार के लिए संभव नहीं है।

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सरकार की नीति मेडिकल इमरजेन्सी व अन्य राहत कार्यों को प्राथमिकता देना है
उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक आपदा के तहत जो पैसा खर्च कर रही है, वो सारा पैसा संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जा रहा है, जैसे मेडिकल इमरजेन्सी, वैक्सीन, फ्री इंजेक्शन्स, ऑक्सीजन, श्रमिकों व गरीबों को अनाज देना आदि। केन्द्र और राज्य सरकारों के पास पैसा सीमित है और टैक्स से आता है, अत: सरकार की नीति है कि एक बार मृतक के परिवार को पैसा देने के बजाय सुविधाएं बढ़ाने पर खर्चा किया जाना चाहिए।

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राज्य सरकारों द्वारा दिए जा रहे मुआवजे पर किया प्रश्न
सॉलिसिटर जनरल की इस दलील पर याचिकाकर्ता रीपक बंसल ने कहा कि मुआवजे का प्रावधान कानून में कर दिया गया है, ऐसे में सरकार आर्थिक तंगी या पैसे की कमी को वजह बताकर मुआवजा देने से मना नहीं कर सकती। देश के अलग-अलग राज्यों में कोरोना से मृत्यु पर दिए जा रहे मुआवजे को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने मृत्यु पर मुआवजे की घोषणा की है परन्तु यह आपदा राहत कोष के बजाय मुख्यमंत्री राहत कोष अथवा आकस्मिक निधि जैसे संस्थानों के माध्यम से दिया जा रहा है। इस पर न्यायाधीश ने उन्हें इन सभी चीजों का ब्यौरा लिखित में देने के लिए कहा।

डॉक्टर्स को भी इंश्योरेंस द्वारा सुरक्षित किए जाने की बात कही
कोर्ट द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने कहा कि इस महामारी के दौरान डॉक्टर्स को भी सुरक्षित किया जा रहा है। देश भर में लगभग 22.12 लाख डॉक्टर्स को बीमा दिया गया है। उन्हें इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए सुरक्षित किया जा रहा है परन्तु कॉन्ट्रेक्ट पर रखे गए डॉक्टर्स को यह सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है।



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