लोगों की जान बचाने के लिए कठिन रास्तों से गुजरती हैं यहां पर डॉक्टर्स की टीम
कोरोना से जंग जीतने के लिए डॉक्टर ‘धरती पर फरिश्ता’ बनकर काम कर रहे हैं। दिन-रात एक कर लोगों के बचाने के प्रयास में कई डॉक्टर्स को अपनी जान तक गंवानी पड़ी, लेकिन इनके जज्बे में कभी कमी नहीं आई। सेवा का ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहे हैं कन्याकुमारी के पेचीपराई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉक्टर ए. कार्तिक। ३७ वर्षीय कार्तिक मई के बाद से लगातार कोरोना मरीजों की देखभाल में जुटे हैं। खास बात ये है कि वह कई ऐसे गांवों में मरीजों को देखने पहुंचे, जहां आम आदमी भी जाने से कतराता है। जिले के आदिवासी गांवों से 100 से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आए, जिनमें कुट्टियार, कोडयार, थोट्टामलै, थाचमलै, मरमलै, मुदावनपोथाई, पुरविलई, वलियामलै, अंबुनगर और मोदिरामलै शामिल हैं। कार्तिक और उनकी टीम लगातार इन गांवों का दौरा कर रही है।
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लोगों को बचाने के लिए पहाड़ों पर की ट्रेकिंग
पहाड़ी इलाकों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए डॉक्टर और उनकी टीम को अक्सर थैचमलै और थोट्टामलै पहुंचने के लिए पेचीपराई बांध से ३० मिनट तक नौका की सवारी भी करनी पड़ती थी। यहां तक की कई बार पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए कुछ किलोमीटर की ट्रेकिंग भी करते थे। इन इलाकों में जांच और वैक्सीनेशन शिविर लगाकर लोगों को जागरूक किया।
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मेडिकल टीम के प्रयास से कम हुआ संक्रमण
तिरुवत्तर ब्लॉक मेडिकल सुपरवाइजर एल चार्लिन का कहना है कि कार्तिक गरीबों की मदद के लिए सक्रिय और दयालु हैं। उन्होंने गांवों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अपनी टीम के साथ अतिरिक्त प्रयास किए। इसी समर्पण ने कार्तिक को आदिवासी लोगों के बीच प्रसिद्ध बना दिया।
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सुदूर क्षेत्रों में लगाए शिविर
कन्याकुमारी के मूल निवासी डॉ. कार्तिक करीब 10 वर्षों से पेचिपराई अतिरिक्त प्राथमिक केंद्र में सेवा दे रहे हैं। डॉक्टर ने बताया कि रोजाना पहाड़ी इलाकों में पहुंचकर जांच और टीकाकरण के शिविर लगाए। लक्षण देकर मरीजों को तुरंत अलग कर इलाज शुरू किया। इसी से संक्रमण का प्रसार को रोका गया।
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