कोवैक्सीन के मुकाबले कोविशील्ड लगाने वालों में ज्यादा बन रही हैं एंटीबॉडी, शोध में खुलासा

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देश में कोवैक्सीन (Covaxin) और कोविशील्ड (Covishield) के डोज दिए जा रहे हैं। दोनों वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञों ने एक शोध में पाया कि कोवैक्सीन के मुकाबले कोविशील्ड के टीके की डोज लेने वालों में अधिक एंटीबॉडी बन रही हैं।
दोनों ही वैक्सीन प्रभावी
भारत में चल रहे टीकाकरण अभियान को लेकर एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोविशील्ड लगाने वालों में ज्यादा एंटीबॉडी का निर्माण हो रहा है। यह स्टडी भारत में की गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार दोनों वैक्सीन में से लोगों ने किसी एक टीके की डोज ली हुई थी। बताया गया है कि दोनों ही वैक्सीन प्रभावी है लेकिन कोविशील्ड का एंटीबॉडी रेट ज्यादा बेहतर है।
86.8 प्रतिशत एंटीबॉडी का निर्माण
शोध में बताया गया कि 552 स्वास्थ्यकर्मी (325 पुरुष, 220 महिला) में से 456 ने कोविशील्ड की पहली खुराक ली थी और 86 ने कोवैक्सीन की पहली डोज ली थी। इसमें से सबके शरीर में एंडटीबॉडी का निर्माण हो चुका था। शोध के अनुसार कोविशील्ड लगवाने वालों में 98 प्रतिशत एंटीबॉडी का निर्माण हुआ। वहीं कोवैक्सीन लगवाने वालों में 80 प्रतिशत एंटीबॉडी बनी हैं।
छह राज्यों के 19 अस्पतालों में हुआ अध्ययन
पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात और झारखंड के छह अस्पताल और एक स्वतंत्र विशेषज्ञों ने मिलकर अध्ययन पूरा किया है। छह राज्यों के 19 अस्पतालों में अध्ययन में खुलासा हुआ है कि कोवाक्सिन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन असरदार हैं लेकिन कोविशील्ड जिन्हें दी गई उनमें कोवाक्सिन से अधिक एंटीबॉडी मिली है। शोध में पाया गया कि कोविशील्ड लेने के बाद शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी का निर्माण होता है। कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड लगवाने वालों में तेजी से एंटीबॉडी बनते हैं। इस समय देश में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और रूस की स्पुतनिक वी लगाई जा रही है। कोवैक्सीन और कोविशील्ड का निर्माण भारत में हो रहा है।
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