भारत के आईटी क्षेत्र से होने वाले काबर्न उत्सर्जन में 85 फीसदी की गिरावट, वर्क फ्रॉर्म होम से आया फर्क
नई दिल्ली। कोरोना काल में लॉकडाउन लगने के कारण ज्यादातर लोग अपने घरों से काम कर रहे हैं। यात्रा पर रोक लगने के बाद से कर्मियों ने अपने घर को ही दफ्तर बना लिया है। इन परिस्थितियों में वातावरण को काफी लाभ मिला है। वातावरण में आईटी कंपनियों से होने वाले कार्बन के उत्सर्जन में करीब 85 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिली है।
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कार्बन उत्सर्जन 85 प्रतिशत तक घटा
अनअर्थइनसाइट UnearhInsight के शोध के अनुसार, भारतीय आईटी आउटसोर्सिंग उद्योग द्वारा घर से काम करने और ऑनलाइन हायरिंग प्रक्रिया के कारण कार्बन उत्सर्जन लगभग 85 प्रतिशत तक घट गया है। टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल, विप्रो, टेक महिंद्रा जैसी शीर्ष पांच आईटी सेवा कंपनियों का यात्रा खर्च वित्त वर्ष 2021 में लगभग 75 प्रतिशत घट गया है। जबकि वित्त वर्ष 2020 में यह 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
भारत के 194 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग प्रौद्योगिकी उद्योग ने कार्बन उत्सर्जन कम करने की ओर अग्रसर किया है। शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी अनअर्थइनसाइट के अनुसार महामारी ने आईटी, आईटीईएस, इंजीनियरिंग, जीआईसी/जीसीसी और स्टार्टअप सहित आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी कंपनियों से कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की कमी की है।
सालाना गिरावट 20 लाख टन
इस कमी का अर्थ है पूर्व-महामारी के स्तर से लगभग तीन लाख टन कार्बन उत्सर्जन में गिरावट। अगर सालाना आधार पर देखें तो यह गिरावट 20 लाख टन है। कार्बन उत्सर्जन में गिरावट का कारण वर्क फ्रॉम होम (दफ्तर जाए बिना घर से काम), डिजिटल प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म को अपनाना जैसे कारक बताए जा रहे हैं।
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